नई दिल्ली: भारत सरकार ने कनाडा सरकरा पर दबाव बनाते हुए आतंकियों की लिस्ट दी है. सभी खालिस्तानी आतंकी 5 साल से कनाडा में खुले घूम रहे हैं. भारत का कहना है कि खालिस्तानी समर्थक और आपराधिक गतिविधियों से जुड़े लोगों के प्रत्यर्पण के लिए 26 बार अपील की गई है. सुरक्षा एजेंसियों के सूत्रों ने बताया कि भारत में वॉन्टेड 13 आतंकवादी और अपराधी इस वक्त कनाडा में हैं. लिस्ट संदीप सिंह उर्फ सनी भी है.
खालिस्तानी आतंकी अर्श डल्ला का राइट हैंड पंजाबी गैंगस्टर सुक्खा दुन्नेके का नाम भी शामिल है, इसकी गुरुवार को हत्या कर दी गई. इस पर 30 से ज्यादा मामले दर्ज थे. फिर भी ट्रूडो सरकार ने उन्हें भारत भेजने से मना कर दिया था. कनाडा के पीनीपेग सिटी में भारत के A कैटेगरी गैंगस्टर सुखदूल सिंह गिल उर्फ सुक्खा दुन्नेके का कत्ल कर दिया गया. सूत्रों से मिल रही जनाकारी के अनुसार सुक्खा की हत्या गैंगवार में हुई है. सुक्खा एनआईए के वॉटेड लिस्ट में शामिल था.
शुरुआती जानकारी के अनुसार सुक्खा दुन्नेके को कनाडा के विनीपिग में गोलियां मारी गई हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दुनेके पर करीब 15 राउंड फायरिंग हुई है. मौके पर ही उसकी मौत हो गई. यह उन 41 आतंकियों व गैंगस्टरों की सूची में शामिल था, जिसे NIA ने भी जारी किया था. सुक्खा कनाडा में बैठकर भारत में उगाही करता था.
भारत सरकार ने कनाडा से निज्जर के हत्या मामले में सबूत मांगा है. जस्टिन ट्रूडो ने आरोप लगाया था कि खालिस्तानी आतंकी निज्जर की हत्या में भारत सरकार का हाथ हो सकता है. इस बयान के बाद भारत के कड़ी प्रतिक्रिया दी. अब भारत ने खालिस्तान टाइगर फोर्स (केटीएफ) के आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के लिए सबूत की मांग कर दी है.
सीनियर अधिकारियों के मुताबिक विदेश मंत्रालय के आला अधिकारियों और सुरक्षा अधिकारियों के साथ बैठक के बाद कनाडा को इस मामले पर रिस्पॉड किया गया है. एक स्तर पर इस प्रतिक्रिया ने इस मांग का रूप ले लिया है कि कनाडा भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसियों पर लगे आरोपों पर खरा उतरे. दूसरी ओर, इसने राजनयिक चैनलों का उपयोग करते हुए ओटावा को एक संदेश का रूप ले लिया है कि भारत सबूतों के आधार पर कनाडा में जांच में शामिल होने के लिए तैयार है.
अल्पमत ट्रूडो सरकार को न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ खालिस्तान समर्थक जगमीत सिंह का समर्थन प्राप्त है. इसलिए भारत यह सुनिश्चित करने के लिए योजनाएं और तंत्र भी बना रही है कि कनाडा में भारतीय प्रवासी सिखों और हिंदुओं के बीच ध्रुवीकृत न हों, और कनाडा में भारतीय और भारतीय मूल के लोग सुरक्षित रहें.