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Ayodhya Unique Bank: अयोध्या का अनौखा बैंक, जहां पैसे का नहीं है कोई मोल, बदले में मिलता है 'उपहार अनमोल'

Ayodhya Unique Bank: भारत के साथ-साथ अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, नेपाल, फिजी, संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों के भक्त इस बैंक के खाताधारक हैं. साल 1970 में इस अनोखे बैंक की स्थापना हुई थी.

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Edited By: India Daily Live
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Ayodhya Unique Bank: उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले ने 22 जनवरी को श्रीराम मंदिर के उद्घाटन और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद दुनिया भर ध्यान अपनी ओर खींचा है. इसके बाद अयोध्या की एक और खास खासियत आकर्षण का केंद्र बन रही है. भगवान राम की भूमि पर एक अनोखा बैंक है, जहां पैसा कोई मायने नहीं रखता. इस बैंक के 35,000 खाताधारकों को यहां मन की शांति, विश्वास और आध्यात्मिकता की प्राप्ति होती है. नवनिर्मित राम मंदिर देखने के लिए आने वाले भक्त और पर्यटक यहां काफी संख्या में आ रहे हैं. 

अयोध्या के इस खास बैंक का नाम अंतरराष्ट्रीय श्री सीताराम बैंक है. यहां जमा पुस्तिकाओं के सभी पृष्ठों पर सीताराम लिखा हुआ है. इस आध्यात्मिक बैंक को नवंबर 1970 में श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के प्रमुख महंत नृत्य गोपाल दास ने स्थापित किया था.

भारत समेत इन देशों के हैं खाताधारक

भारत, अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, नेपाल, फिजी, संयुक्त अरब अमीरात और अन्य देश के 35,000 से ज्यादा खाताधारक हैं. बैंक के पास भगवान राम के भक्तों से 20,000 करोड़ 'सीताराम' पुस्तिकाओं का संग्रह है. बैंक के प्रबंधक पुनित राम दास महाराज के अनुसार पिछले महीने राम मंदिर के प्रतिष्ठा समारोह के बाद बैंक में दैनिक तौर पर भक्तों की संख्या में भी काफी वृद्धि हुई है.

5 लाख बार लिखना पड़ता है सीताराम

बैंक भक्तों को फ्री में पुस्तिकाएं व लाल पेन देता है और प्रत्येक खाते का हिसाब रखता है. बैंक में खाता खोलने के लिए कम से कम 5 लाख बार 'सीताराम' लिखना पड़ता है. इसके बाद एक पासबुक जारी की जाती है. पुनीत राम दास ने मीडिया को बताया कि पूरे भारत और विदेशों में इस बैंक की 136 शाखाएं हैं. खाताधारक हमें डाक के जरिए अपनी पुस्तिकाएं भेजते हैं, जिनका यहां पूरा हिसाब बही-खाते में रखा जाता है. उन्होंने कहा कि आगंतुक सीताराम लिखने और इसे बैंक में जमा करने के फायदों पर सवाल उठाते हैं.

84 लाख बार नाम जपने से मिलता है मोक्ष

इस पर उन्होंने कहा कि मैं उनसे कहता हूं कि जिस तरह हम आंतरिक शांति, आस्था और सदाचार के लिए देवी-देवताओं के मंदिरों में जाते हैं, उसी तरह 'सीताराम' लिखकर उसे बैंक में जमा करना भी प्रार्थना का एक रूप है. क्या हम नहीं कहते हैं कि भगवान के पास सबके अच्छे-बुरे कर्मों का अपना लेखा-जोखा है? यह कुछ ऐसी ही बात है. 

उन्होंने कहा कि भक्तों को भगवान राम का नाम लिखने, जपने और स्मरण करने से गहन आध्यात्मिक समृद्धि मिलती है. पुनीत राम दास कहते हैं कि 84 लाख बार नाम लिखने (जपने) से व्यक्ति को 'मोक्ष' की प्राप्ति होती है.