share--v1

Pakistan: पाकिस्तान में जजों को डरा-धमका रहा ISI, हाईकोर्ट के जजों की चिट्ठी से मचा बवाल

Pakistan: पाकिस्तान इंसाफ नाम की कोई चीज बची नहीं है. देश के जजों को ISI डरा धमका रहा है. उनसे जबरदस्ती फैसले लिखवा रहा है. जजों का आरोप है कि उनके बेडरूम में खुफिया कैमरे लगाए जाने के साथ ही उनके रिश्‍तेदारों को अगवा कर उनपर जुल्‍म ढाए जा रहे हैं.

auth-image
India Daily Live

Pakistan: पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने देश के जजों को भी अपने चंगुल में ले लिया है.  इस्‍लामाबाद हाईकोर्ट के जजों ने ISI पर गंभीर आरोप लगाए हैं. 6 जजों ने आरोप लगाया है कि ISI  धमका कर फैसला बदलवा रहा है. जजों का आरोप है कि उनके बेडरूम में खुफिया कैमरे लगाए जाने के साथ ही उनके रिश्‍तेदारों को अगवा कर उनपर जुल्‍म ढाए जा रहे हैं.

मुख्य न्यायाधीश आमेर फारूक को छोड़कर आईएचसी के सभी सात न्यायाधीशों ने सुप्रीम न्यायिक परिषद और सुप्रीम कोर्ट के सभी न्यायाधीशों को पत्र लिखकर इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे आईएसआई के वरिष्ठ अधिकारी न्यायिक कार्यवाही को प्रभावित कर रहे हैं और न्यायाधीशों पर दबाव डाल रहे हैं. जजों की इस चिट्ठी के बाद पाकिस्तान में हंगामा मच गया है. जजों के इन आरोपों की जांच की मांग होने लगी है.

जजों ने लगाया इंसाफ की गुहार

जजों ने ISI से छुटकारा दिलाने की गुहार लगाई है. उनका आरोप है कि हमे डराया जा रहा है, ब्लैकमेल कर के फैसले बदलवाए जा रहे हैं.  इससे परेशान इस्लामाबाद हाईकोर्ट के 6 जजों ने पाकिस्तान के सुप्रीम न्यायिक काउंसिल को चिट्ठी लिखकर आईएसआई का हस्तक्षेप रोकने और जांच कराने की मांग की है. अपनी चिट्ठी में कई बातों को जिक्र किया है. इसमें  बताया है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के दुष्प्रचार के चलते एक जज को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था, जबकि एक जज को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा.

 चिट्ठी में 6 जजों के दस्तखत

जजों का कहना है कि इस मामले में हमने खुफिया एजेंसी के डीजी इंटरनल कम्युनिकेशन और सेक्टर कमांडरों से भी बात की, लकिन सब ने हमें धमकाया. 25 मार्च को लिखी गई इस चिट्ठी पर जस्टिस मोहसिन अख्तर कयानी, तारिक महमूद जहांगीरी, बाबर सत्तार, सरदार इजाज इशाक खान, अरबाब मुहम्मद ताहिर और जस्टिस समन रफत इम्तियाज के दस्तखत हैं.

खुफिया एजेंटों के हस्तक्षेप को रोका जाए

आईएचसी न्यायाधीशों ने आग्रह किया कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कमजोर करने वाले तरीके से न्यायिक कार्यों में खुफिया एजेंटों के हस्तक्षेप और न्यायाधीशों को डराने-धमकाने" के मामले पर विचार करने के लिए एक न्यायिक सम्मेलन बुलाया जाए. इसके अलावा, न्यायाधीशों ने आगे कहा कि इस तरह के संस्थागत परामर्श से सर्वोच्च न्यायालय को न्यायपालिका की स्वतंत्रता की रक्षा करने के सर्वोत्तम तरीके पर विचार करना चाहिए. बार एसोसिएशन ने चिट्ठी लिखने वाले छह न्यायाधीशों की उनके "साहस और बहादुरी" के लिए सराहना भी की है. 

Also Read