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एक ऐसा गायक जिसके लिए महात्मा गांधी को भी करना पड़ा था इंतजार

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कोई उन्हें 20वीं सदी का तानसेन कहता था तो कोई खान साहब कहकर बुलाता था. अविभाजित भारत के पंजाब में साल 1902 में पैदा हुए गुलाम अली खान कब बड़े गुलाम अली खान हो गए किसी को पता नहीं चला. अपने चाचा काले खान से सारंगी सीखने वाले बड़े गुलाम अली खान को संगीत की शुरुआत सीख अपने परिवार से ही मिली. संगीत और गायकी के लिए मशहूर इस घराने की उस समय बहुत बड़ी प्रतिष्ठा था.

बड़े गुलाम अली खान की गायकी ऐसी थी कि महात्मा गांधी भी उनके प्रशंसकों में शुमार हुआ करते थे. उस वक्त मुगल-ए-आजम में गाना गाने के लिए बड़े गुलाम अली खान ने 25 हजार रुपये की फीस ली थी जबकि उस वक्त के बड़े-बड़े गायक 4 से 5 सौ रुपये में गाना गाते थे.

अपने छोटे से करियर में बड़े गुलाम अली ने न सिर्फ कई नई मशहूर गाने गाए बल्कि ठुमरी की नई शैली भी ईजाद की थी. लता मंगेशकर भी उनको अपना उस्ताद मानती थीं. बड़े गुलाम अली खान भी लता मंगेशकर की खूब तारीख पिया करते थे. साल 1968 में बड़े गुलाम अली खान का निधन हो गया था.

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