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Lok Sabha Elections 2024: कांग्रेस-RJD के बाद अब ममता के खेमे में BJP ने लगाई सेंध, तापस रॉय के इस्तीफे से कितनी गहरी होगी चोट

Lok Sabha Elections 2024: पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की ओर से 3 बार के विधायक रहे तापस रॉय ने सोमवार को असेंबली स्पीकर बिमन बंदोपाध्याय को इस्तीफा सौंप दिया है. माना जा रहा है कि तापस रॉय ने यह कदम आगामी लोकसभा चुनावों में भाग लेने के चलते लिया है. 

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India Daily Live
Tapas Roy

Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले बीजेपी के कुनबे में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. कांग्रेस और आरजेडी में सेंध लगाने के बाद बीजेपी ने अब ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी में सेंध लगाई है. टीएमसी के कद्दावर नेता तापस रॉय ने सोमवार को अपनी सदस्‍यता से इस्‍तीफा दे द‍िया है. तापस रॉय ने असेंबली स्पीकर बिमन बंदोपाध्याय को अपना इस्तीफा सौंपा है.

अपनी सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद तापस रॉय ने कहा कि वह पार्टी के काम करने के तरीके से नाखुश हैं. उन्होंने कहा कि वह पार्टी और सरकार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों से तंग आ चुके हैं. रॉय ने संदेशखाली मामले को लेकर भी कई सवाल उठाए हैं. उन्होंने मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कहा कि तृणमूल कांग्रेस अब मेरे लिए नहीं है. मैं एक आजाद पंछी हूं. मैं आगे क्या फैसला लेता हूं इस बारे में आपको बाद में जानकारी दूंगा. बता दें कि तापस रॉय 25 सालों से तृणमूल कांग्रेस के वफादार सिपाही रहे हैं.

'ED की रेड के बाद किसी ने फोन नहीं किया' 

तापस ने 12 जनवरी को नगर निकायों में भर्ती घोटाला मामले में अपने घर पर हुई ईडी की छापेमारी को लेकर कहा कि छापेमारी के बाद उनकी पार्टी से किसी ने भी उन्हें या उनके परिवार को फोन नहीं किया. उन्होंने कहा कि पिछले 23-24 वर्षों से मैं तृणमूल कांग्रेस के साथ हूं. 12 जनवरी को ईडी ने मेरे घर पर छापा मारा. छापेमारी के 52 दिन बाद भी मेरी पार्टी ने एक बार भी मेरा समर्थन नहीं किया. ममता बनर्जी ने मुझे एक बार भी फोन नहीं किया. मुझे पार्टी ने नहीं बुलाया. कोई भी मेरे या मेरे परिवार के साथ खड़ा नहीं हुआ.

तापस रॉय के इस्तीफे से कमजोर होंगी ममता?

तापस रॉय का इस्तीफा ऐसे समय में हुआ है जब देश में लोकसभा चुनाव होने हैं. रॉय की पहचान टीएमसी के दिग्गज नेता के रूप में होती है, उनकी गिनती पार्टी के वफादार सिपाही के रूप में  होती है. वह कांग्रेस छोड़कर टीएमसी में शामिल हुए थे. राजनीतिक जानकारों की मानें तो रॉय के इस्तीफे से निश्चित तौर पर ममता बनर्जी कमजोर होंगी.