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कैसे भारत को वापस मिलेगा पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर, राजनाथ सिंह ने किया प्लान का खुलासा

Rajnath Singh on POK: आजादी के बाद से ही जम्मू-कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच हमेशा से बड़ा मुद्दा रहा है, जहां पाकिस्तान हमेशा इस पर दावा कर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसे मुद्दा बनाने की कोशिश करता है तो वहीं पर भारत ने भी पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को वापस हासिल करने के लिए अपनी कवायद शुरू कर दी है.

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Rajnath Singh

Rajnath Singh on POK: कश्मीर से धारा 370 की समाप्ति के बाद से ही केंद्र की सत्ताधारी पार्टी बीजेपी ने पीओके (पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर) को भारत में वापस मिलाने की बात कही है, हालांकि इस पर सरकार काम कैसे करेगी इस पर कभी कोई जवाब नहीं आया. अब लोकसभा चुनावों के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस मुद्दे पर बयान देकर एक बार फिर इस मुद्दे को गर्म कर दिया है.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) पर भारत के रुख के बारे में बात करते हुए कहा कि भारत इसे दोबारा से हासिल करने के लिए हथियार या ताकत का सहारा नहीं लेगा. राजनाथ सिंह ने इस मुद्दे पर आगे बात करते हुए कहा कि कश्मीर में जितनी तेजी से विकास हो रहा है उससे वहां के लोग जाहिर तौर पर प्रभावित हुए हैं और पाकिस्तान के कब्जे से निकलकर अपने असली घर भारत में वापसी करने की इच्छा जताएंगे. 

POK से ही उठेगी भारत वापसी की आवाज

राजनाथ सिंह ने इस दौरान ये भी कहा कि भविष्य में भारत के साथ विलय की मांग पीओके के भीतर से ही उठ सकती है, जिससे सैन्य हस्तक्षेप की जरूरत खत्म हो जाएगी.

न्यूज एजेंसी पीटीआई को इंटरव्यू देते हुए राजनाथ सिंह ने कहा,'मुझे लगता है कि भारत को कुछ नहीं करना पड़ेगा, जिस तरह से जम्मू-कश्मीर में जमीनी हालात बदले हैं, जिस तरह से क्षेत्र में आर्थिक प्रगति हो रही है और जिस तरह से वहां शांति लौटी है, मुझे लगता है कि पीओके के लोगों की ओर से मांग उठेगी कि उसे भारत के साथ विलय होना चाहिए. हमें पीओके लेने के लिए बल का प्रयोग नहीं करना पड़ेगा क्योंकि लोग कहेंगे कि हमें भारत में विलय करना होगा. ऐसी मांगें अब आ रही हैं. पीओके हमारा था, है और हमारा रहेगा.'

AFSPA में दी जा सकती है ढील

रक्षा मंत्री ने जम्मू-कश्मीर में चुनाव को लेकर भी आश्वासन दिया कि वहां पर सरकार चुनी जाएगी और मतदान भी होगा लेकिन वो कब और कितने समय के अंदर होगा इस पर कोई जानकारी नहीं दी.उन्होंने जम्मू-कश्मीर में उभरती स्थिति पर जोर दिया और स्थिति में सुधार होने पर सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (एएफएसपीए) जैसे सुरक्षा उपायों में संभावित ढील का संकेत दिया.

उन्होंने कहा, 'जिस तरह से जम्मू-कश्मीर में स्थिति में सुधार हो रहा है, मुझे लगता है कि एक समय आएगा जब वहां एएफएसपीए की आवश्यकता नहीं होगी. यह मेरा विचार है और इस पर निर्णय गृह मंत्रालय को लेना है.'

पाकिस्तान से सिर्फ आतंक खत्म होने के बाद ही होगी बात

सिंह ने सीमा पार आतंकवाद में पाकिस्तान की भागीदारी को भी संबोधित किया और इस्लामाबाद से अपनी अस्थिर गतिविधियों को रोकने का आग्रह किया. उन्होंने ऐसे खतरों का मुकाबला करने और क्षेत्र में शांति बनाए रखने के भारत के संकल्प पर प्रकाश डाला.पुलवामा आतंकी हमले के जवाब में पाकिस्तान में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी शिविर पर भारत के हवाई हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया. 

अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर का स्पेशल स्टेटस रद्द करने और राज्यों को दो केंद्र शासित प्रदेशों में पुनर्गठित करने के भारत के फैसले के बाद संबंधों में और खटास आ गई. हालांकि भारत ने इस बात की पुष्टि करना जारी रखा है कि वह पाकिस्तान के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध चाहता है लेकिन यह तभी संभव है जब पाकिस्तान अपने क्षेत्र से आतंकवाद को खत्म कर दें.