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मुख्तार की गैरमौजूदगी, भूमिहारों की नाराजगी, पूर्वांचल में किसकी चलेगी लहर? समझें पूरा गुणा-गणित

Purvanchal Lok Sabha Election 2024: आखिरी दौर में उत्तर प्रदेश की 13 सीटों पर मतदान हैं. इसमें से अभी 11 पर बीजेपी और 2 पर अन्य दलों का कब्जा है. अब 2024 में मुख्तार की गैरमौजूदगी, भूमिहारों की नाराजगी, पूर्वांचल में किसकी लहर चलेगी? आइये जानें समीकरण

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Edited By: India Daily Live
Purvanchal Lok Sabha Election
Courtesy: IDL

Purvanchal Lok Sabha Election: लोकसभा चुनाव 2024 के 6 चरणों का मतदान हो चुका है. सातवें चरण में 57 सीटों पर वोटिंग होनी है. इसमें उत्तर प्रदेश के 13 सीटें शामिल हैं. ये सभी लोकसभा सीटें पूर्वांचल से आती हैं. इसमें PM मोदी की सीट के साथ मुख्यमंत्री का योगी आदित्यनाथ का इलाका और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल की सीट आती है. यहां के जातिगत समीकरण दलित और पिछड़े मतदाताओं पर टिके होते हैं. ऐसे में सभी दल आखिरी दौर में यहां पूरा दम लगा रहे हैं.

फिलहाल इस इलाके में 11 सीटें भाजपा और 2 सीटें गैर बीजेपी दलों के पास हैं. अब माना जा रहा है कि सातवें चरण के मतदान में घोसी, गाजीपुर और मिर्जापुर में पेंच फंसा हुआ है. हालांकि, अभी भी इसमें से दो सीटें BJP या NDA के पास नहीं हैं. आइये समझते हैं इन सीटों के समीकरण

पहले जानें सीट, प्रत्याशी और पार्टी

सीट प्रत्याशी और पार्टी
सीट भाजपा+ सपा+कांग्रेस बसपा
वाराणसी नरेंद्र मोदी अजय राय अतहर जमाल लारी
महराजगंज पंकज चौधरी वीरेंद्र चौधरी मौसमे आलम
गोरखपुर रवि किशन काजल निषाद जावेद सिमनानी
कुशीनगर विजय दुबे अजय प्रताप सिंह शुभ नारायण चौहान
देवरिया शशांकमणि त्रिपाठी अखिलेश सिंह संदेश यादव
सलेमपुर रवींद्र कुशवाहा रमाशंकर राजभर भीम राजभर
घोसी अरविंद राजभर राजीव राय बालकृष्ण चौहान
बांसगांव कमलेश पासवान संदल प्रसाद रामसमूझ सिंह
बलिया नीरज शेखर सनातन पांडेय लल्लन सिंह यादव
गाजीपुर पारसनाथ राय अफजाल अंसारी डॉ. उमेश कुमार सिंह
चंदौली महेंद्र नाथ पांडे वीरेंद्र सिंह सत्येंद्र कुमार मौर्य
मिर्जापुर अनुप्रिया पटेल रमेश बिंद मनीष त्रिपाठी
रॉबर्ट्सगंज रिंकी सिंह कोल छोटे लाल करवार धनेश्वर गौतम

वाराणसी (Varanasi)

5 विधानसभा सीटों को मिलकर वाराणसी लोकसभा सीट बनी है. 1957 के बाद से यहां से BJP ने 7 और कांग्रेस ने 6 बार यहां से जीत हासिल की है. यहां की कुल आबादी में 75 फीसदी हिंदू और 20 प्रतिशत मुस्लिम है. वहीं कुल आबादी का 10.01 फीसदी जनजाति और 0.7 फीसदी दलित है. यहां OBC का अच्छा खासा दबदबा है, जिनकी संख्या करीब 3 लाख है. इसके अलावा कुर्मी, वैश्य, ब्राह्मण और भूमिहार वोटर्स की अच्छा संख्या है. हालांकि, यहां से लगातार PM मोदी के चुनाव लड़ने के कारण जातीय फैक्टर का असर कम ही नजर आता है.

महाराजगंज (Maharajganj)

महराजगंज  में 22 प्रतिशत मतदाता OBC हैं. इसके साथ ही अनुसूचित जाति के 18 व मुस्लिम समाज के 17 प्रतिशत मतदाता हैं. कुर्मी व पटेलों की संख्या 9 प्रतिशत है. वैश्य व निषाद 7-7 प्रतिशत तो ब्राह्मण करीब 8 फीसदी हैं. वहीं यादव 9 और क्षत्रियों की संख्या 3 प्रतिशत है. हालांकि, ये सीट योगी आदित्यनाथ के प्रभाव वाले इलाके में आती है.
    
गोरखपुर (Gorakhpur)

गोरखपुर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मूल सीट है. यहां की सभी विधानसभा सीटों के साथ ही लोकसभा का भी फैसला मठ से होती है. हालांकि, पार्टियां यहां जातिगत समीकरण साधने के हिसाब से ही प्रत्याशी उतारती हैं. इसी के कारण यहां 2018 के उपचुनाव में सपा की जीतकर उदाहरण दिया था. 1984 तक यहां से 6 बार कांग्रेस ने जीत हासिल की लेकिन 1989 के बाद से यहां गोरक्षपीठाधीश्वर का ही कब्जा है.

कुशीनगर (Kushinagar)

कुशीनगर की सभी विधानसभा सीटों पर BJP का कब्जा है. यह क्षेत्र ब्राह्मण, यादव, मुस्लिम और कुशवाहा बहुल है. अनुसूचित जाति 15, मुस्लिम 14, कुशवाहा (कुर्मी) 13, ब्राह्मण 11, सैंथवार 12, वैश्य 10, यादव 8 प्रतिशत है. ये इलाका भी आदित्यनाथ के प्रभाव वाली सीट है. हालांकि, स्‍वामी प्रसाद मौर्य ने मैदान में कूदकर दिग्गजों का समीकरण बिगाड़ने का प्लान बनाया है.

देवरिया (Deoria)

जातीय आधार पर यहां के वोटरों के संख्या की बात करें तो ब्राह्मण–18%, क्षत्रीय–11%, अनुसूचित–14%,  यादव–10%,  वैश्य–08%,  कुर्मी–05%, भूमिहार–05% हैं. यही यहां के चुनावी निर्णय तय करते हैं. सभी पार्टियों को मेन टारगेट ब्राह्मण और क्षत्रिय होते हैं. हालांकि, इस सीट पर भी योगी आदित्यनाथ का काफी प्रभाव है.

सलेमपुर (Salempur)

इस लोकसभा सीट में पिछड़ी जातियों यानी OBC का अच्छा खासा दबदबा है. कुर्मी और राजभर, मौर्य और कुशवाहा करीब 18 फीसदी और 14 फीसदी के आसपास राजभर के साथ 15 फीसदी अनुसूचित जाति के मतदाता हैं. इसी कारण यहां से इस बार बीजेपी ने रवींद्र कुशवाहा को जबकि समाजवादी पार्टी ने रमाशंकर राजभर को उतारा है. BSP ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर को यहां लड़ने के लिए भेजा है.

घोसी (Ghosi)

घोसी में 5 लाख वोटर एससी, ढाई -ढाई लाख यादव और चौहान हैं. मुसलमान वोटरों की संख्या 3 लाख के आसपास है. जबकि, ब्राह्मण, क्षत्रिय, भूमिहार, वैश्य करीब-करीब एक-एक हैं. यहां से 14 बार भूमिहार नेता चुनाव जीत चुके हैं. इसमें कम्युनिस्ट पार्टी के झारखंडे राय भी हैं. यहां मुख्तार अंसारी का पर्याप्त असर है. इस बार यहां से मुख्तार अंसारी के बड़े भाई अफजाल अंसारी मैदान में उतरे हैं. ऐसे में अन्य पार्टियों के लिए दुविधा बढ़ रही है.

बांसगांव (Bansgaon)

इस सीट में पासी समुदाय सहित अन्य दलितों की संख्या 4 लाख के आसपास है. ब्राह्मण, राजपूत 3 लाख तो यादव ढाई लाख हैं. वहीं मुस्लिम वोटर भी 1.50 लाख के आसपास हैं. पिछले तीन बार से भाजपा प्रत्याशी चुनाव जीत रहे हैं. कद्दावर नेता सदल प्रसाद इंडिया गठबंधन से मैदान में उतरकर बीजेपी की मुश्किल बना रहे हैं. हालांकि, लोगों का मानना है कि पीठ के कारण भाजपा का रास्ता आसान हो जाएगा.

बलिया (Ballia)

बलिया में बड़ी आबादी ब्राह्मणों की है. इसके बाद यादव, राजपूत और दलित आते हैं. इनकी संख्या 5 लाख से ज्यादा है. जबकि, एक लाख मुस्लिम हैं. बीजेपी ने यहां से पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर को मैदान में उतारा है. वहीं ब्राह्मणों को साधने के लिए सपा ने सनातन पांडेय को मैदान में उतारा है. इस लिहाज से यहां BJP को टक्कर मिल सकती है.

गाजीपुर (Ghazipur)

गाजीपुर मुख्तार अंसारी के प्रभाव वाली सीटे है. यहां से उसके बड़े भाई अफजाल पांच बार विधायक और दो बार सांसद रहे हैं.पिछला चुनाव यहां से BJP हार गई थी. गाजीपुर में 2.70 लाख मुस्लिम, 4 लाख दलित, 4.50 लाख के करीब यादव मतदाता हैं. वहीं ओबीसी मतदाता भी 4 लाख हैं. यहां से कोई भी सांसद लगातार दो बार नहीं रहा. यहां से बीजेपी को सवर्ण और राजभर की पार्टी के कारण समर्थन की उम्मीद है.

चंदौली (Chandauli)

चंदौली, बनारस की सबसे नजदीक की सीट है. यहां से तीसरी बार महेंद्र नाथ पांडेय मैदान में हैं. इसकी दो विधानसभा सीटें बनारस में है ऐसे में बीजेपी पीएम मोदी के सहारे इसे निकालने की आस में है. हालांकि, उसे टक्कर देने के लिए सपा से पूर्व मंत्री वीरेंद्र सिंह और बीएसपी से सत्येंद्र कुमार मौर्या चुनाव लड़ रहे हैं.

मिर्जापुर (Mirzapur)

यहां से भाजपा-अपना दल (एस) की संयुक्त उम्मीदवार अनुप्रिया पटेल मैदान में हैं. हालांकि, भाजपा से टिकट करने के बाद रमेश बिंद ने सपा की टिकट से यहां मुश्किलें बढ़ा दी है. वहीं बसपा ने अगड़ी जाति को साधने के लिए मनीष तिवारी को उतार दिया है. ऐसे में माना जा रहा है कि अनुप्रिया की जीत पहले जितनी आसान नहीं होगी.

रॉबर्ट्सगंज (Robertsganj)

रॉबर्ट्सगंज को BJP की मजबूत सीटों में से एक माना जाता है. यहां से बीजेपी ने रिंकी सिंह कोल, इंडिया गठबंधन ने छोटे लाल करवार और बीएसपी ने धनेश्वर गौतम को मैदान में उतारा है. ये इलाका अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की बहुलता वाला है.

क्या हैं पूर्वांचल के समीकरण?

पूर्वांचल की 13 सीटों में से गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, महाराजगंज, बांसगांव को योगी बाबा का आशीर्वाद मिला रहता है. वहीं अंसारी फैक्टर गाजीपुर और घोसी में काम करता है. जबकि, चंदौली और बनारस पीएम मोदी के कारण भाजपा निकाल ले जाती है.