लोकतंत्र में चुनाव लड़ना, आम आदमी का अधिकार है. चुनाव लड़ने के लिए अगर आप तय उम्र पूरी कर रहे हैं, पागल या दिवालिया नहीं हैं तो चुनाव लड़ सकते हैं. अगर आप जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की शर्तों के तहत दोषी नहीं हैं तो आप चुनाव लड़ सकते हैं. एक आदमी जेल तक से भी चुनाव लड़ सकता है. कभी सोचा है कि आखिर जेल से चुनाव तो लड़ सकते हैं लेकिन वोट क्यों नहीं दे सकता. वारिस पंजाब दे का मुखिया अमृतपाल पंजाब की खडूर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहा है लेकिन दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद मनीष सिसोदिया 27 मई को वोट नहीं कर पाए. इसकी वजह जानते हैं?
यूपी के बाहुबली विधायक अमरमणि से लेकर अतीक अहमद तक, कई बार जेल से चुनाव लड़े हैं और जीते भी हैं. कभी सोचा है कि ऐसा होता क्यों है. वोट डालना भी तो आम आदमी का संवैधानिक अधिकार है, उसे वोट डालने से रोक दिया जाता है लेकिन उसके चुनाव लड़ने पर रोक नहीं लगाई जाती. आइए जानते हैं कि वोटिंग और चुनाव लड़ने को लेकर क्या नियम कानून हैं.
क्यों जेल से नहीं डाल सकते हैं वोट
विशाल अरुण बताते हैं कि अगर आपको जमानत मिली है तभी आप वोट डाल सकते हैं, अगर जेल में हैं तो वोट डालने के लिए आपको रिहाई नहीं दी जा सकती है. साल 1997 में सुप्रीम कोर्ट ने अनुकूल चंद्र प्रधान बनाम भारत सरकार में कहा था कि वोटिंग का अधिकार कानूनी अधिकार है, जिसे प्रतिबंधित किया जा सकता है. अपराधियों को चुनाव से दूर रहना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट और अलग-अलग हाई कोर्ट ने भी इस फैसले पर मुहर लगाया है.
क्यों जेल से लड़ा जा सकता है चुनाव?
विशाल अरुण मिश्र बताते हैं कि जन प्रतिनिधि कानून की धारा 8 चुनाव लड़ने की अयोग्यता से संबंधित है. यह धारा कहती है कि अगर कोई व्यक्ति दोषी साबित हो जाता है, तभी उसे चुनाव लड़ने से रोका जा सकता है. जिस दिन कोई दोषी साबित होता है, तब से लेकर सजा खत्म होने के 6 साल बाद तक, चुनाव नहीं लड़ सकता है. केवल आरोपी होने से या जेल में होने से किसी को चुनाव लड़ने से नहीं रोका जा सकता है.