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Google Delists Apps From Its App Store: आखिर गूगल ने अपने प्ले स्टोर से क्यों हटाई इतनी लोकप्रिय ऐप्स, क्या रही वजह?

गूगल ने अपने प्ले स्टोर से 10 लोकप्रिय ऐप्स Bharat Matrimony, Jodii, Truly Madly, Quack Quack आदि को डिलिस्ट कर दिया है. ऐसा क्यों किया गया है यह हम आपको यहां बता रहे हैं. 

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India Daily Live

Google Delists Apps From Its App Store: हाल ही में Google ने कुछ ऐप्स अपना चाबूक चलाया है. कंपनी ने भारत में कई ऐप डेवलपर्स के खिलाफ रेग्यूलेटरी कार्रवाई की है. ये सभी ऐप्स इन-ऐप पर्चेज फीस को लेकर कंपनी की पॉलिसी का पालन करने में असफल रही हैं. बता दें कि Google ने अपने प्ले स्टोर से 10 ऐप्स हटा दिए हैं जिनमें Kuku FM, Altt, Aha और Shaadi.com आदि जैसी कई लोकप्रिय ऐप्स शामिल हैं.

इन ऐप्स को किया बंद: कंपनी ने भारत में Bharat Matrimony, Jodii, Truly Madly, Quack Quack, Kuku FM, Altt, Naukri.com, 99acres, Christian Matrimony, Muslim Matrimony जैसी ऐप्स को बंद कर दिया है. कंपनी ने आखिर यह फैसला क्यों लिया, चलिए जानते हैं इसका कारण.

Google ने क्यों बंद की ये लोकप्रिय ऐप्स: 
ऐप्स में जो ग्राहक इन-ऐप पर्चेज करते हैं उसके लिए Google ने डेवलपर्स से फीस मांगी थी. इसे लेकर कई बार डेवलपर्स को वॉर्निंग भी दी गई लेकिन कई कंपनियों ने इस पॉलिसी को मानने से इंकार कर दिया. Google, कंपनियों से इन-ऐप पर्चेज का 11 से 26 फीसद शुल्क लेता है. गूगल के अनुसार, लगातार चेतावनी के बाद भी 10 कंपनियों ने पॉलिसी को मानने से इंकार कर दिया था जिसके चलते गूगल को यह कदम उठाना पड़ा. इसे लेकर पिछले काफी समय से कंपनियों और गूगल के बीच तनातनी चल रही थी. 

क्या है गूगल का कहना: 
Google का कहना है कि केवल 10 भारतीय डेवलपर्स ऐसे हैं जो कंपनी की पॉलिसी का पालन न करके पेमेंट नहीं कर रहे हैं. जबकि 2,00,000 से ज्यादा कंपनियां इस पॉलिसी का पालन कर रही हैं. ऐसे में गूगल ने कहा है कि इन 10 ऐप्स को अलग तरह से ट्रीट किया जाता है तो पूरे ईकोसिस्टम में तनाव पैदा हो जाएगा और इससे कंपनी को नुकसान हो सकता है. 

कंपनी ने इन डेवलपर्स को 3 साल से ज्यादा का समय दिया था. वहीं, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी 3 हफ्ते का समय दिया गया है. इस कदम के साथ कंपनी का यही उद्देश्य है कि गूगल की पॉलिसी का पालन ग्लोबल लेवल पर ठीक से किया जा सके. 

क्या होगा कंपनियों का:
गूगल की तरफ से लिया गया ये एक्शन इन ऐप्स को विकल्पों की तलाश करने पर मजबूर कर रहा है. ये कंपनियां दूसरे ऐप स्टोर या वेबसाइट डाउनलोड्स की तरफ जा सकती हैं. हालांकि, यह डेवलपर्स के साथ-साथ कंज्यूमर्स के लिए एक बड़ा चैलेंज ही है. इन कंपनियों का मानना है कि इस तरह के एक्शन से गूगल और एप्पल अपनी मोनोपोली बना रही हैं.

कंपनियां टैक्स बढ़ाने से थी नाराज: 
इससे पहले गूगल के टैक्स बढ़ाने को लेकर भी विवाद हुआ था. खबरों के अनुसार, जहां पहले कंपनी 11 से 26 फीसद का टैक्स लेती थी. वहीं, अब इसे 50 फीसद किए जाने की बात चल रही थी. हालांकि, गूगल ने इसे लेकर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की थी. ऐसे में कंपनियों का यह कहना था कि अगर गूगल उनकी कमाई का 50 फीसद हिस्सा ले लगी तो वो आगे चलकर काम कैसे कर पाएंगे. शार्क टैंक जज अनुपम मित्तल ने तो गूगल को गूगल और एप्पल को बुली यानी परेशान करने वाला भी बता दिया था. 

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