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वो 3 कारण जिन्होंने Nokia को कर दिया मार्केट से OUT…!

Where Did Nokia Go Wrong: आज हम आपको तीन ऐसे कारण बता रहे हैं जो Nokia को बाहर का रास्ता दिखाने में सबसे बड़े रहे हैं. चलिए जानते हैं इनके बारे में. 

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Shilpa Srivastava
Where Did Nokia Go Wrong

Where Did Nokia Go Wrong: Nokia के बारे में आपने सुना भी होगा और शायद इस्तेमाल भी किया होगा. एक समय था जब इस कंपनी के फोन्स का बोलबाला था. नोकिया के फोन्स लगभग हर दूसरे यूजर के हाथ में देखे जा सकते था. लेकिन फिर एक समय ऐसा आया जब स्मार्टफोन्स का दौर शुरु हुआ. लेकिन फिर सैमसंग और एप्पल के हाथ कंपनी का फेलियर झेलना पड़ा. 

अक्टूबर 1998 में नोकिया पूरी दुनिया में मोबाइल फोन की बिक्री में मामले में इंडस्ट्री में सबसे आगे था. 1999 तक कंपनी का मुनाफा 4 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया था. ऐसा लग रहा था कि अब नोकिया से कोई गलती नहीं हो सकती है और वो लगातार ही आगे बढ़ेगी. लेकिन ऐसा होता कहा  है. 2010 में, हालात बदतर हो गए... नोकिया ने महज 6 साल के अंदर अपने मार्केट शेयर का करीब 90 फीसदी हिस्सा गंवा दिया था. इस नुकसान की भरपाई कंपनी कभी कर ही नहीं पाई. आज हम आपको यहां ये बताएंगे कि इतनी ऊंचाई पर जाने के बाद नोकिया से आखिर गलती कहां हुई. 

1. ब्रांड की प्रतिष्ठा पर निर्भर रहना: कंपनी ने बिना कुछ सोचे समझे केवल उनकी जरूरत का ही ध्यान रखा. लेकिन फिर भी कंपनी यूजर्स के बढ़ती जरूरतों और बाजार में खुद को बनाए रखने में विफल रही. Apple ने अपना गेम-चेंजिंग स्मार्टफोन पेश किया और उसके बाद यूजर्स का एक बड़ा हिस्सा एप्पल की तरफ चला गया. एप्पल ने नोकिया से बेहतर मोबाइल इंडस्ट्री को समझा और उसी हिसाब से प्रोडक्ट पेश किए. 

तो देखा जाए तो यह नोकिया का पहला सबक था जो उसे सीखना चाहिए था कि ग्राहकों को बनाए रखने और नए ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए कभी भी अपने ब्रांड की प्रतिष्ठा पर निर्भर न रहना चाहिए. नोकिया ने यह मान लिया था कि कंपनी की लोकप्रियता अभी भी यूजर्स के दिमाग में ताजा है. लेकिन अगर कंपनी इंडस्ट्री की जरूरतों के हिसाब से नहीं चलती है और उसके प्रोडक्ट की मांग खत्म हो जाती है तो उन्हें जल्द ही कोई नई स्ट्रैटजी अपना लेनी चाहिए. नहीं तो ऐसा ही नुकसान झेलना पड़ सकता है. 

2. आपके प्रोडक्ट के लिए मार्केटिंग बहुत जरूरी: नोकिया ने जिस तरह से सिर्फ अपनी लोकप्रियता पर निर्भर रहकर सबकुछ करना चाहा, उसी तरह से कंपनी को लगा की बिना मार्केटिंग के ही उसके प्रोडक्ट लोगों के बीच लोकप्रिय हो जाएंगे. लेकिन अगर आपको ग्राहकों तक पहुचना है तो आपको एक सॉलिड मार्केटिंग स्ट्रैटिजी की जरूरत होती है. स्मार्फोन इंडस्ट्री में नोकिया के पास कभी भी सॉलिड मार्केटिंग स्ट्रैटिजी नहीं थी जिसके चलते कंपनी को काफी नुकसान हुआ. 

Apple और Samsung ने अपने प्रोडक्ट्स की मार्केटिंग करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. हर वर्ष बेहतर सुविधा वाले फोन्स को लॉन्च करना और उनके बारे में लोगों तक पहुंचना, ये दोनों कंपनियों ने बखूबी किया है. ऐसे में नोकिया को यह सीखने की जरूरत थी कि मार्केटिंग भी उतनी ही जरूरी है. 

3. फीडबैक लेने का कल्चर नहीं: नोकिया के विफल होने में एक बड़ी कमी ये भी थी कि वो कंपनी किसी की सुनती नहीं थी. अगर आपको कॉम्पेटीशन में बने रहना है तो आपको फीडबैक के लिए ओपन होना होगा. साथ ही बदलती परिस्थितियों के हिसाब से भी खुद को ढालना होगा. नोकिया ने नेतृत्व शायद काफी अच्छा किया लेकिन नए रुझानों के साथ तालमेल नहीं बिठा सका. ऐसा कहा जाता है कि कई टॉप मैनेजमेंट ऐसे थे जिन्होंने लोगों का फीडबैक जिस तरह से लेना चाहिए था उस तरह से नहीं लिया और खुद का कल्चर चलाया.