धार्मिक परिवर्तन के गंभीर आरोपों में फंसे छांगुर बाबा, जिसका असली नाम जमालुद्दीन है, इन दिनों उत्तर प्रदेश एटीएस की कस्टडी में हैं. बाबा पर न सिर्फ एक संगठित रैकेट चलाने का आरोप है, बल्कि जांच में यह भी सामने आया है कि उसने खुद को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का सीनियर पदाधिकारी बताकर एक फर्जी संगठन खड़ा किया और उसका प्रचार-प्रसार किया. अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू कर दी है.
छांगुर बाबा और उनके साथी ईदुल इस्लाम ने ‘भारत प्रतिकार्थ सेवा संघ’ नामक संगठन बनाया, जो देखने में आरएसएस से जुड़ा लगता है. रिपोर्ट के मुताबिक, इस संगठन के लेटरहेड पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर लगाई गई थी, जिससे इसकी विश्वसनीयता बढ़े. इतना ही नहीं, संगठन का एक फर्जी केंद्र नागपुर में भी खोला गया ताकि यह संघ के हेडक्वार्टर से जुड़ा लगे. यह सब इसीलिए किया गया ताकि लोगों को भ्रमित कर धर्मांतरण के जाल में फंसाया जा सके.
पुलिस जांच में सामने आया है कि छांगुर बाबा का रैकेट उन लोगों को निशाना बनाता था जो दरगाहों पर मन्नत मांगने आते थे या जिनकी धार्मिक सोच उदार होती थी. विशेष रूप से हिंदू महिलाओं और परिवारों को उनके धार्मिक झुकाव के आधार पर इस गिरोह ने निशाने पर लिया. बाबा के साथ उनकी सहयोगी नसरीन उर्फ नीतू और उनका बेटा भी इस पूरे नेटवर्क में शामिल थे. ये सब लोगों को झांसे में लेकर धर्म परिवर्तन कराते थे.
मनी लॉन्ड्रिंग केस में ईडी ने 14 जगहों पर छापेमारी की, जिनमें 12 ठिकाने उत्तर प्रदेश के उतरौला में और दो मुंबई में थे. इन छापों में जमीनों के दस्तावेज, सोना, लग्ज़री गाड़ियां और बेहिसाब नकदी बरामद हुई है. जांच में अब तक सामने आया है कि इस रैकेट को 106 करोड़ रुपये की विदेशी फंडिंग मिली, जो मुख्य रूप से मिडिल ईस्ट से आई. एटीएस ने हाल ही में देहरादून के सहसपुर इलाके से अब्दुल रहमान नामक एक व्यक्ति को भी हिरासत में लिया है, जो इस नेटवर्क से जुड़ा बताया जा रहा है.