बिहार में राजनीतिक गर्मी एक बार फिर तेज हो गई है. जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर और उनके सैकड़ों समर्थकों के खिलाफ पटना पुलिस ने गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज की है. यह कार्रवाई उस समय हुई जब पार्टी ने अपनी तीन प्रमुख मांगों को लेकर विधानसभा का घेराव करने की कोशिश की.
पटना के सचिवालय थाने में दर्ज एफआईआर में प्रशांत किशोर के अलावा पार्टी के राज्य अध्यक्ष मनोज भारती, प्रवक्ता विवेक कुमार, यूट्यूबर व राजनीतिक कार्यकर्ता मनीष कश्यप सहित नौ नामजद और करीब 2,000 अज्ञात कार्यकर्ताओं को आरोपी बनाया गया है. पुलिस का कहना है कि 23 जुलाई को जन सुराज पार्टी ने बिना अनुमति विधानसभा घेराव की योजना बनाई थी. इसके लिए प्रशासन ने पहले से सभी रास्तों को बैरिकेडिंग कर सील कर दिया था.
एफआईआर के अनुसार, प्रदर्शनकारी तय मार्ग के बजाय एयरपोर्ट रोड होते हुए पटेल गोलंबर की ओर बढ़े और वहां से पटना चिड़ियाघर के गेट नंबर 2 की ओर रुख किया. जब पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की, तो प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड तोड़ दिए और सुरक्षाकर्मियों से धक्का-मुक्की करने लगे. अधिकारियों का दावा है कि प्रदर्शनकारियों को पहले ही बता दिया गया था कि 21 से 25 जुलाई तक धारा 163 लागू है और किसी तरह के प्रदर्शन की अनुमति नहीं है.
जन सुराज का यह विरोध प्रदर्शन तीन प्रमुख मांगों को लेकर था. गरीब परिवारों को ₹2 लाख की आर्थिक सहायता, दलित भूमिहीन परिवारों को तीन डिसमिल ज़मीन का आवंटन और ज़मीन सर्वेक्षण में भ्रष्टाचार के मामलों में कार्रवाई. हालांकि, प्रशासन का कहना है कि पार्टी ने प्रदर्शन की कोई पूर्व अनुमति नहीं ली थी. इसी कारण पुलिस को लाठीचार्ज भी करना पड़ा.
घटना के बाद प्रशांत किशोर ने बयान जारी कर कहा कि जन सुराज का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा से मिलकर अपनी मांगों की सूची सौंप चुका है. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर एक सप्ताह के भीतर मांगें पूरी नहीं हुईं, तो पार्टी मुख्यमंत्री आवास का घेराव करेगी.