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'मौत की सजा या उम्रकैद', धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी पर सरकार ला रही सख्त कानून? बिल पेश करने की तैयारी

मुख्यमंत्री भगवंत मान चाहते हैं कि धार्मिक ग्रंथों का अपमान करने वालों को सीधे मौत की सजा दी जाए. वहीं, कुछ सीनियर नेता उम्रकैद को अधिक व्यवहारिक मानते हैं. इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय के लिए लीगल एक्सपर्ट और एडवोकेट जनरल से राय ली जा रही है.

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Edited By: Reepu Kumari
Bhagwant Mann
Courtesy: Pinterest

Religious Text Law: पंजाब सरकार धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी के बढ़ते मामलों को देखते हुए एक सख्त कानून लाने की तैयारी में है. मुख्यमंत्री भगवंत मान इस तरह की घटनाओं को बेहद गंभीर मानते हैं और दोषियों को फांसी की सजा देने के पक्ष में हैं. हालांकि, सरकार के भीतर कुछ नेताओं का मानना है कि उम्रकैद ज्यादा उपयुक्त सजा होगी.

इस विषय पर सरकार फिलहाल कानूनी सलाहकारों और विशेषज्ञों की मदद से बिल का ड्राफ्ट तैयार कर रही है ताकि ऐसा कानून बने जो अदालत में भी मजबूत तरीके से टिक सके. माना जा रहा है कि यह बिल आने वाले विधानसभा सत्र में पेश किया जा सकता है.

सजा को लेकर दो राय, लेकिन इरादा साफ

मुख्यमंत्री भगवंत मान चाहते हैं कि धार्मिक ग्रंथों का अपमान करने वालों को सीधे मौत की सजा दी जाए. वहीं, कुछ सीनियर नेता उम्रकैद को अधिक व्यवहारिक मानते हैं. इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय के लिए लीगल एक्सपर्ट और एडवोकेट जनरल से राय ली जा रही है.

कानून की जल्दी नहीं, मजबूती जरूरी

कैबिनेट मंत्री हरपाल चीमा ने साफ कहा है कि सरकार जल्दबाजी में कोई भी कानून नहीं लाएगी. उनका कहना है कि ऐसा ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है जो अदालत में चुनौती न झेल सके और ठोस परिणाम दे सके. इसके लिए जरूरी हुआ तो विधानसभा सत्र भी आगे बढ़ाया जा सकता है.

क्या राज्य सरकार खुद कानून बना सकती है?

फिलहाल इस बात पर भी चर्चा हो रही है कि क्या पंजाब सरकार अपने स्तर पर ऐसा कानून बना सकती है या फिर केंद्र की भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत संशोधन की ज़रूरत पड़ेगी. इसके लिए भी विशेषज्ञों की राय ली जा रही है.

धार्मिक किताबें आम किताबों जैसी?

एक सीनियर अधिकारी का कहना है कि कई धार्मिक पुस्तकें आम बाजार में बिकती हैं और उन पर विशेष रोक नहीं है. लेकिन गुरु ग्रंथ साहिब जैसी पवित्र किताबें विशेष स्थिति में आती हैं, जिन्हें कोई भी छाप नहीं सकता.