menu-icon
India Daily

पंजाब में बेअदबी करने वालों की अब खैर नहीं, बिना राष्ट्रपति की मंजूरी के सीधे लागू होगा नया कानून

पंजाब सरकार ने धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी रोकने के लिए ‘पवित्र धर्मग्रंथों के विरुद्ध अपराधों की रोकथाम अधिनियम-2025’ पेश किया है. यह कानून सिर्फ श्री गुरुग्रंथ साहिब नहीं, बल्कि सभी धर्मों के ग्रंथों, संतों व देवी-देवताओं से संबंधित बेअदबी के मामलों को कवर करेगा. बिल को समीक्षा के लिए सिलेक्ट कमेटी को भेजा गया है, जो 6 महीने में रिपोर्ट देगी.

auth-image
Edited By: Yogita Tyagi
Sacrilege law

पंजाब में धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी को रोकने के लिए आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार ने एक कड़ा कदम उठाया है. राज्य सरकार ने 'पंजाब पवित्र धर्मग्रंथों के विरुद्ध अपराधों की रोकथाम अधिनियम (एस)-2025' का मसौदा तैयार कर लिया है, जिसे अब सिलेक्ट कमेटी के पास समीक्षा के लिए भेजा गया है. यह विशेष राज्य अधिनियम विधानसभा से पास होने के बाद सीधे राज्यपाल की मंजूरी से लागू किया जा सकेगा. इसे राष्ट्रपति के पास भेजने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी, जिससे इसके अमल में किसी बड़ी अड़चन की संभावना नहीं है.

सभी धर्मों पर लागू होगा कानून 

यह कानून सिर्फ सिख धर्म के पवित्र ग्रंथ श्री गुरुग्रंथ साहिब तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि अन्य धर्मों के ग्रंथों, संतों और देवी-देवताओं की बेअदबी से जुड़े मामलों को भी इसमें शामिल किया जा रहा है. सिलेक्ट कमेटी के पास इस दिशा में कई सुझाव पहुंच चुके हैं, वहीं समिति के सदस्य विभिन्न धर्मगुरुओं से भी सलाह ले रहे हैं ताकि कानून को सभी समुदायों के प्रति न्यायसंगत और संतुलित बनाया जा सके. सरकार ने इस अधिनियम को ‘स्टेट एक्ट’ के रूप में तैयार किया है, जो राज्य सूची के तहत आता है. इसलिए यह पूरी तरह पंजाब सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है. विधानसभा में आम आदमी पार्टी के पास पूर्ण बहुमत होने के चलते इसके पारित होने में भी कोई बाधा नहीं दिख रही.

इससे पहले भी आए हैं ऐसे कानून? 

इससे पहले साल 2016 में बादल सरकार और 2018 में कैप्टन अमरिंदर सरकार भी धार्मिक बेअदबी से जुड़े बिल लेकर आई थीं, लेकिन वे संशोधन बिल थे और भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 295A में बदलाव के चलते उन्हें राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा गया था. कानूनी पेचिदगियों के कारण वे बिल कभी लागू नहीं हो सके. वर्तमान कानून, चूंकि एक स्वतंत्र और विशिष्ट राज्य अधिनियम है, इसलिए इसमें ऐसी बाधाएं नहीं आएंगी.

काफी सख्त होगा नया कानून

विशेषज्ञों के अनुसार IPC की धारा 295A के तहत धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने पर अधिकतम तीन साल की सजा का प्रावधान है, लेकिन यह धारा जमानती है. यही वजह है कि धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी करने वालों में कानून का डर नहीं होता. वहीं, नया कानून न सिर्फ कड़ा होगा बल्कि अपराधियों के लिए सख्त सजा का प्रावधान करेगा, जिससे राज्य में धार्मिक सौहार्द बनाए रखने में मदद मिलेगी.

 बिल को लेकर राजनीतिक गलियारों में भी हलचल 

इस बिल को लेकर राजनीतिक गलियारों में भी हलचल है. विपक्षी दल सीधे विरोध से बच रहे हैं क्योंकि मामला धार्मिक भावनाओं से जुड़ा हुआ है. हालांकि, कुछ राजनीतिक विश्लेषक इसे वोट बैंक की राजनीति का हिस्सा बताते हुए इसके जल्दबाजी में लाए जाने पर सवाल भी उठा रहे हैं. कुछ वर्गों ने यह आशंका जताई है कि इस कानून का दुरुपयोग भी किया जा सकता है. फिर भी, पंजाब में धार्मिक बेअदबी की बढ़ती घटनाओं और उससे पैदा होने वाले तनाव को देखते हुए एक कठोर कानून की लंबे समय से जरूरत महसूस की जा रही थी. अब जब यह कानून राज्यपाल की मंजूरी के बाद लागू होगा, तब उम्मीद की जा रही है कि इससे धार्मिक ग्रंथों की गरिमा और लोगों की धार्मिक भावनाओं की सुरक्षा सुनिश्चित हो सकेगी.