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कौन हैं अमन सहरावत? 11 की उम्र में मां-बाप खोए, अपने इंस्पिरेशन को हराकर क्वालीफाई किया, अब ब्रॉन्ज जीतकर इतिहास रच दिया

Paris Olympics 2024: इस वक्त चारों तरफ अमन सेहरावत की चर्चा है, जिन्होंने ओलंपिक 2024 में भारत को कुश्ती में ब्रॉन्ज मेडल दिलाया है. यह इस बार भारत का छठा मेडल है. अमन हरियाणा से आते हैं. वे भारत के सबसे युवा ओलंपिक मेडलिस्ट बन गए हैं. अमन की कहानी देश के युवाओं को प्रेरणा देने वाली है.

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Edited By: India Daily Live
Aman Sehrawat
Courtesy: Twitter

Paris Olympics 2024: इन दिनों फ्रांस की राजधानी पेरिस में ओलंपिक 2024 चल रहे हैं. इन गेम्स के 14वें दिन भारत के युवा रेसलर अमन सहरावत ने कमाल कर दिया. वे 21 साल 24 दिन की उम्र में भारत के सबसे युवा ओलंपिक मेडलिस्ट बन गए हैं.  शुक्रवार को उन्होंने रेसलिंग में भारत को पहला मेडल दिलाया. अमन ने प्यूर्टो रिको के डरियन टोई क्रूज को 13-5 से हराकर ब्रॉन्ज मेडल जीता है. पदक पर कब्जा करने के बाद से ही उन्होंने देशभर से बधाई मिल रही है. हर कोई अमन के बारे में जानना चाहता है.

कौन हैं अमन सहरावत?


हरियाणा के झज्जर के बिरोहर गांव से आते हैं. उन्होंने दिल्ली के उसी मशहूर छत्रसाल अखाड़े से कुश्ती के गुर सीखे, जिसने कई विश्वस्तरी पहलवान दिए हैं. इस अखाड़े से ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार, योगेश्वर दत्त, रवि दहिया, बजरंग पुनिया समेत कई कुश्ती खिलाड़ी बने और पहचान बनाई.



11 साल की उम्र में मां-बाप को खोया

अमन का जन्म 2003 में हुआ था. उसने 11 साल की उम्र में अपने मां-बाप खो दिए थे. अमन के दादा ने उनका पालन पोषण किया और इस हादसे से उबरने में उनकी मदद की. इसमें उनकी मौसी का भी बहुत बड़ा त्याग है. उन्होंने अमन को अपने बेटे की तरह पाला.



पिता का सपना पूरा करूंगा

दरअसल, अमन जब 11 साल का था, जब उसकी मां दुनिया छोड़कर चली गई.  बेटा डिप्रेशन में न चला जाए, इसलिए पिता ने उसे कुश्ती में डाल दिया, फिर 6 महीने बाद पिता का भी निधन हो गया. यह अमन के लिए बड़ा झटका था. अमन की मौसी के अनुसार, अमन के पिता का सपना था कि घर में कोई न कोई पहलवानी करे और भारत के लिए मेडल जीते. अमन ने कहा था पिता का सपना जरूर पूरा करूंगा. अब उन्होंने महज 21 साल की उम्र में देश को 57 किग्रा कैटेगरी में ब्रॉन्ज मेडल दिलाया है.

इंस्पिरेशन रवि दहिया हैं

अमन के  इंस्पिरेशन रवि दहिया हैं, जो भारत के लिए टोक्यो ओलंपिक में सिल्वर मेडल दिला चुके हैं. खास बात ये है कि अपने इंस्पिरेशन यानी रवि दहिया को हराकर ही अमन ने ओलंपिक के लिए क्वालीफाई भी किया था.
अमन ने अपने कमरे में लिखा है 'आसान होता तो हर कोई कर लेता'. इसी को उन्होंने अपनी टैग लाइन बनाया और इतिहास रच दिया. 


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