डोनाल्ड ट्रंप की अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में वापसी को भारत में शुरू में उत्साह के साथ देखा गया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार को उम्मीद थी कि ट्रंप का दूसरा कार्यकाल भारत-अमेरिका संबंधों को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा. लेकिन पांच महीने बाद माहौल बदल गया है. अमेरिका के मशहूर अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल ने चेतावनी दी है कि ट्रंप की नीतियां भारत को अमेरिका से दूर कर सकती हैं.
अखबार ने साफ कहा कि भारत के बिना अमेरिका का 'ग्रेट' बनने का सपना पूरा होना मुश्किल है. आखिर ट्रंप को यह चेतावनी क्यों दी गई, और भारत अमेरिका के लिए इतना महत्वपूर्ण क्यों है? आइए जानते हैं.
भारत का भरोसा क्यों टूट रहा है?
ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद भारत को कई मोर्चों पर निराशा मिली है. वॉल स्ट्रीट जर्नल के मुताबिक, भारत को कारोबारी रिश्तों में कुछ दिक्कतों की उम्मीद थी, लेकिन उसे भरोसा था कि ट्रंप के साथ अच्छे रिश्तों से ये समस्याएं हल हो जाएंगी. मगर ऐसा हुआ नहीं. ट्रंप की नीतियों ने भारत को हैरान और नाराज किया है.
उदाहरण के लिए, अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे भारतीयों को वापस भेजने का तरीका भारत में विवाद का मुद्दा बन गया. ट्रंप के पहले कार्यकाल में करीब 6,000 भारतीयों को वापस भेजा गया था, लेकिन इस बार कठोर व्यवहार ने भारत में गुस्सा पैदा किया. विपक्षी नेताओं ने मोदी सरकार पर विदेशों में भारतीयों की रक्षा न करने का आरोप लगाया.
छात्रों और कारोबार पर ट्रंप का सख्त रुख
अमेरिका में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों की संख्या हाल के वर्षों में तेजी से बढ़ी है. 2023-24 में 3,31,602 भारतीय छात्र अमेरिकी विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे थे, जो चीन से भी ज्यादा है. लेकिन 27 मई 2025 को ट्रंप प्रशासन ने छात्र वीजा के लिए नए साक्षात्कार बंद करने का फैसला लिया. इस फैसले ने भारतीय छात्रों, उनके परिवारों और अमेरिकी विश्वविद्यालयों को चौंका दिया.
इसके अलावा, ट्रंप ने भारत में कारोबार बढ़ाने की कोशिश कर रही कंपनी एप्पल को भी धमकाया. इन फैसलों ने भारत में यह सवाल उठाया कि क्या ट्रंप भारत के साथ दोस्ती को गंभीरता से ले रहे हैं?
भारत-पाकिस्तान मुद्दे पर अमेरिका की चुप्पी
पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ा. इस दौरान अमेरिका की प्रतिक्रिया ने भारत को और निराश किया. वॉल स्ट्रीट जर्नल के अनुसार, अमेरिका ने दोनों देशों को शांत रहने की सलाह दी, जो भारत को नागवार गुजरी. भारतीयों को लगता है कि अमेरिका फिर से भारत और पाकिस्तान को एक ही तराजू में तौल रहा है.
ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर भारत-पाक विवाद में मध्यस्थता की बात कही, जिससे भारत सरकार असहज हुई. भारत का मानना है कि वह एक स्वतंत्र और उभरती महाशक्ति है, जबकि पाकिस्तान आर्थिक और राजनीतिक समस्याओं से जूझ रहा है. ऐसे में भारत को पाकिस्तान के साथ जोड़कर देखना भारतीय जनता को अपमानजनक लगता है.
भारत की गरिमा को ठेस क्यों?
वॉल स्ट्रीट जर्नल ने लिखा है कि भारत एक महाशक्ति के रूप में सम्मान चाहता है. भारतीय जनता किसी भी अपमान को लेकर बहुत संवेदनशील है. चाहे वह कश्मीर का मुद्दा हो, छात्र वीजा की बात हो, या पाकिस्तान के साथ रिश्ते की, अमेरिका के फैसलों ने भारतीय भावनाओं को चोट पहुंचाई है.
अखबार ने चेतावनी दी कि ट्रंप की नीतियां भारत जैसे महत्वपूर्ण सहयोगी को नाराज कर सकती हैं. भारत की जनता चाहती है कि उसकी सफलता को दुनिया स्वीकार करे और उसे बराबरी का दर्जा दे.
भारत के बिना अमेरिका का नुकसान
वॉल स्ट्रीट जर्नल ने ट्रंप को साफ चेतावनी दी है कि भारत को नजरअंदाज करना अमेरिका के लिए भारी पड़ सकता है. भारत न केवल आर्थिक रूप से तेजी से बढ़ रहा है, बल्कि यह रणनीतिक रूप से भी बेहद अहम है. भारत के साथ मजबूत रिश्ते के बिना ट्रंप का 'मेक अमेरिका ग्रेट अगेन' का नारा अधूरा रह जाएगा.
भारत ने हाल के वर्षों में वैश्विक मंच पर अपनी ताकत दिखाई है. चाहे वह शिक्षा हो, तकनीक हो, या रक्षा, भारत अमेरिका के लिए एक विश्वसनीय साझेदार है. ट्रंप की नीतियां अगर भारत को दूर करती हैं, तो यह अमेरिका के अपने हितों के खिलाफ होगा.