पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में हाल के दिनों में तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है. पाकिस्तानी सेना और बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) के बीच हुई ताजा झड़पों ने क्षेत्र में अस्थिरता को और गहरा कर दिया है. इन मुठभेड़ों में दोनों पक्षों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है, अलग-अलग झड़पों में पाकिस्तानी सेना के 23 जवान मारे गए हैं.
बलूच लिबरेशन आर्मी के प्रवक्ता जायंद बलूच ने एक बयान में बताया कि 6 जून की रात को मस्तंग जिले के गोनी पारा इलाके में पाकिस्तानी सेना और बीएलए लड़ाकों के बीच हिंसक झड़प शुरू हुई. यह मुठभेड़ सुबह तक जारी रही, जिसमें पाकिस्तानी सेना के 8 जवान मारे गए और कई अन्य घायल हो गए. स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पाकिस्तानी सेना को हेलीकॉप्टरों के जरिए कमांडो उतारने पड़े. बीएलए ने दावा किया कि इस मुठभेड़ में उनके 9 लड़ाके भी मारे गए.
अन्य इलाकों में भी हिंसा
जायंद बलूच के अनुसार, 8 जून को एक अन्य मुठभेड़ में पाकिस्तानी सेना को और नुकसान हुआ. इस दौरान कई सैनिक मारे गए, हालांकि सटीक संख्या की पुष्टि नहीं हो सकी. बीएलए ने बलूचिस्तान के विभिन्न हिस्सों में अन्य झड़पों की भी जानकारी दी, जहां उनके लड़ाकों ने पाकिस्तानी सुरक्षा बलों को निशाना बनाया. इन हमलों में सैन्य चौकियों, काफिलों और सरकारी प्रतिष्ठानों को टारगेट किया गया.
बलूच लिबरेशन आर्मी का उद्देश्य
बलूच लिबरेशन आर्मी एक अलगाववादी संगठन है जो बलूचिस्तान को पाकिस्तान से स्वतंत्र करने के लिए सशस्त्र संघर्ष कर रहा है. बीएलए का मानना है कि बलूचिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों, जैसे गैस, कोयला और खनिज, का शोषण पाकिस्तानी सरकार और विदेशी ताकतें, विशेष रूप से चीन कर रहे हैं. संगठन का दावा है कि बलूच लोगों को उनके संसाधनों का लाभ नहीं मिल रहा और क्षेत्र का विकास जानबूझकर रोका जा रहा है.
बलूचिस्तान में बढ़ता तनाव
इन झड़पों ने न केवल बलूचिस्तान बल्कि पूरे दक्षिण एशिया में तनाव को बढ़ा दिया है. बीएलए ने हाल के दिनों में अपनी गतिविधियां तेज कर दी हैं जिसमें जाफर एक्सप्रेस ट्रेन को हाईजैक करना और सैन्य काफिलों पर हमले शामिल हैं. संगठन ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय विशेष रूप से भारत और संयुक्त राष्ट्र से समर्थन की अपील की है. दूसरी ओर, पाकिस्तान सरकार बीएलए को आतंकवादी संगठन मानती है और इसके खिलाफ सैन्य अभियान चला रही है.