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चीन के विदेश मंत्री वांग यी का भारत दौरा, सीमा विवाद और द्विपक्षीय संबंधों पर होगी अहम चर्चा

वांग यी की विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ होने वाली द्विपक्षीय बैठक में व्यापार, सुरक्षा, और क्षेत्रीय सहयोग जैसे मुद्दों पर व्यापक चर्चा होने की उम्मीद है. दोनों देशों ने हाल के महीनों में संबंधों को सामान्य करने की दिशा में कई कदम उठाए हैं.

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Edited By: Gyanendra Sharma
Chinese Foreign Minister Wang Yi
Courtesy: Sosial Media

Chinese Foreign Minister Wang Yi: चीन के विदेश मंत्री वांग यी आज 18 अगस्त 2025 से तीन दिवसीय भारत दौरे पर आ रहे हैं. यह दौरा 20 अगस्त तक चलेगा और इस दौरान वे भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल और संभवतः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे.

वांग यी इस दौरे के दौरान एनएसए अजीत डोभाल के साथ 24वीं विशेष प्रतिनिधि (एसआर) बैठक में हिस्सा लेंगे. यह बैठक भारत और चीन के बीच लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवाद को हल करने के लिए आयोजित की जा रही है. 2020 में लद्दाख के गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया था, जिसके बाद विशेष प्रतिनिधि वार्ता रुक गई थी. दिसंबर 2024 में हुई पिछली बैठक के बाद यह दूसरी ऐसी वार्ता होगी, जो दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली और तनाव कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है.

द्विपक्षीय संबंधों पर जोर

वांग यी की विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ होने वाली द्विपक्षीय बैठक में व्यापार, सुरक्षा, और क्षेत्रीय सहयोग जैसे मुद्दों पर व्यापक चर्चा होने की उम्मीद है. दोनों देशों ने हाल के महीनों में संबंधों को सामान्य करने की दिशा में कई कदम उठाए हैं, जिसमें डेमचोक और देपसांग में गश्त की बहाली और कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करना शामिल है. इसके अलावा, सीधी उड़ानों और पर्यटक वीजा को फिर से शुरू करने पर भी बातचीत चल रही है, जो दोनों देशों के बीच लोगों के आपसी संपर्क को बढ़ावा दे सकता है.

मोदी की चीन यात्रा से पहले अहम कदम

वांग यी का यह दौरा इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 31 अगस्त से 1 सितंबर तक होने वाली शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के लिए चीन यात्रा से पहले हो रहा है. यह 2020 के गलवान संघर्ष के बाद पीएम मोदी की पहली चीन यात्रा होगी. दोनों देशों के बीच उच्च-स्तरीय बैठकों का यह सिलसिला द्विपक्षीय संबंधों में सुधार और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए सकारात्मक संकेत देता है.

भारत-चीन सीमा, जिसे वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के रूप में जाना जाता है, 3,488 किलोमीटर लंबी है और इसमें कई विवादित बिंदु हैं. 2020 के बाद से दोनों पक्षों ने गलवान, गोगरा, हॉट स्प्रिंग्स और पैंगोंग त्सो जैसे क्षेत्रों में तनाव कम करने के लिए कदम उठाए हैं.