India Border Security 2025: भारत-नेपाल सीमा पर सुरक्षा चिंताएं उस समय और गहरी हो गईं जब खुफिया रिपोर्ट्स में खुलासा हुआ कि तुर्की, पाकिस्तान के सहयोग से नेपाल के सीमावर्ती इलाकों में बड़ी संख्या में मस्जिदों और मदरसों का निर्माण करवा रहा है. यह गतिविधियाँ धार्मिक विस्तार के साथ-साथ रणनीतिक प्रभाव बढ़ाने का संकेत देती हैं. रिपोर्ट्स के अनुसार, 2018 में भारत से लगे नेपाली इलाकों में मस्जिदों की संख्या 760 थी, जो 2021 तक बढ़कर 1,000 हो गई. इसी तरह मदरसों की संख्या 508 से बढ़कर 645 हो गई.
तुर्की समर्थित गैर-सरकारी संगठन IHH नेपाल के सीमावर्ती जिलों में मस्जिदों, मदरसों, अनाथालयों और इस्लामी केंद्रों का निर्माण कर रहा है. यह संगठन कट्टरपंथी समूहों से जुड़ा माना जाता है और तुर्की की खुफिया एजेंसी एमआईटी और सरकारी एजेंसी TIKA से समर्थन प्राप्त करता है. इन संस्थानों का उद्देश्य केवल धार्मिक प्रचार नहीं, बल्कि वैचारिक कट्टरता को बढ़ावा देना और राजनीतिक इस्लाम की जड़ें फैलाना बताया गया है.
यह नेटवर्क न केवल धार्मिक ढांचा खड़ा कर रहा है बल्कि सीमावर्ती इलाकों में भारत-विरोधी एजेंडे को भी बढ़ावा दे रहा है. यह गतिविधियाँ जनसंख्या के वैचारिक ध्रुवीकरण और सीमावर्ती क्षेत्रों में कट्टरपंथ के बढ़ने का खतरा पैदा कर सकती हैं. विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल से लगे नेपाल के इलाकों में यह नेटवर्क तेजी से पनप रहा है.
रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI इस पूरे ऑपरेशन में अहम भूमिका निभा रही है. वह नेपाल की खुली सीमा का फायदा उठाकर भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए वहां आधार तैयार कर रही है. इंडियन मुजाहिदीन, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों को वित्तीय और सैन्य सहायता नेपाल के रास्ते भारत में पहुँचाए जाने के प्रमाण मिल चुके हैं.
भारत-नेपाल सीमा 1,751 किलोमीटर लंबी है और ज्यादातर खुली, बगैर बाड़ वाली है, जिससे सीमापार लोगों और सामान की आवाजाही आसान हो जाती है. यही सीमा सुरक्षा के लिए चुनौती बनती जा रही है, विशेषकर तब, जब तुर्की और पाकिस्तान जैसे देश अपने रणनीतिक हितों के लिए इसे इस्तेमाल कर रहे हैं.