दुनिया भर में मार्शल आर्ट ‘कुंग फू’ और ज़ेन बौद्ध धर्म के केंद्र के रूप में प्रसिद्ध चीन का शाओलिन मंदिर इन दिनों भारी विवादों में घिरा हुआ है. इस प्राचीन और प्रतिष्ठित मंदिर के प्रमुख भिक्षु शि योंगशिन पर गंभीर आरोप लगे हैं, जो ना केवल धार्मिक मर्यादाओं को तोड़ते हैं, बल्कि कानूनी दृष्टि से भी आपराधिक हैं. यह मामला चीन में बौद्ध धर्म और मंदिरों की पारदर्शिता को लेकर भी गहरे सवाल खड़े कर रहा है.
चीन के सरकारी अखबार ‘चाइना डेली’ के अनुसार, शि योंगशिन पर परियोजना फंड और मंदिर की संपत्ति के गबन का आरोप है. बताया गया है कि उन्होंने मंदिर के नाम पर मिले धन का दुरुपयोग किया और निजी हितों के लिए इसका इस्तेमाल किया. यह पहला मौका नहीं है जब मंदिरों से जुड़ी वित्तीय अनियमितताओं को लेकर सवाल उठे हों, लेकिन यह मामला शाओलिन जैसे प्रतिष्ठित मंदिर से जुड़ा होने के कारण विशेष रूप से संवेदनशील बन गया है.
रिपोर्ट्स में यह भी सामने आया है कि शि योंगशिन ने लंबे समय तक कई महिलाओं के साथ अनुचित संबंध बनाए और उनसे अवैध संतानें भी हुईं. यह बात बौद्ध धर्म के उन मूल सिद्धांतों के पूरी तरह खिलाफ है, जिनके पालन का संकल्प हर भिक्षु लेता है. उनकी यह कथित गतिविधियां न केवल नैतिक पतन को दर्शाती हैं, बल्कि शिष्यों और भक्तों के विश्वास को भी गहरी चोट पहुंचाती हैं.
शाओलिन मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है. इसकी स्थापना 495 ईस्वी में हुई थी और यह ज़ेन बौद्ध धर्म का प्रमुख केंद्र माना जाता है. दुनियाभर से लोग यहां मार्शल आर्ट सीखने और अध्यात्म का अनुभव लेने आते हैं. ऐसे में मंदिर के प्रमुख पर लगे गंभीर आरोप इसकी अंतरराष्ट्रीय छवि को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं.
शि योंगशिन के खिलाफ चल रही जांच कई सरकारी एजेंसियों द्वारा संयुक्त रूप से की जा रही है. मंदिर की आधिकारिक वेबसाइट पर पोस्ट किए गए एक नोटिस के अनुसार, संबंधित अधिकारियों द्वारा समय-समय पर जांच की जानकारी सार्वजनिक की जाएगी. इस बीच, सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को लेकर लोगों की तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं, जिनमें धार्मिक संस्थाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग की जा रही है.