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India Daily

ट्रंप को किससे लग रहा डर, डॉलर को बचाने की जंग में क्यों हुए आक्रामक? इन देशों की करेंसी ने उड़ाई नींद

डॉलर को बचाने की ट्रंप की ये रणनीति बताती है कि ग्लोबल करेंसी सिस्टम में बड़ा बदलाव आ रहा है. हालांकि डॉलर अभी भी सबसे ताकतवर है, लेकिन BRICS+, भारत और अन्य देशों की नई नीतियां इसे धीरे-धीरे चुनौती दे रही हैं.

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Edited By: Reepu Kumari
Dollar decreasing value
Courtesy: Pinterest

दुनिया की सबसे ताकतवर करेंसी मानी जाने वाली अमेरिकी डॉलर को लेकर इन दिनों अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का रुख काफी सख्त और आक्रामक नजर आ रहा है. इसकी वजह है कई देशों का अमेरिकी डॉलर से दूरी बनाना और अपनी लोकल करेंसी या डिजिटल करेंसी को बढ़ावा देना. ट्रंप ने साफ कहा कि डॉलर दुनिया की करेंसी का "किंग" है और वह इसे ऐसा ही बनाए रखना चाहते हैं.

ट्रंप ने BRICS देशों और उनके नए साथियों को कड़ी चेतावनी दी है कि अगर वे डॉलर छोड़ने की कोशिश करेंगे, तो अमेरिका 10% से 100% तक टैरिफ लगा सकता है. यह बयान ऐसे समय आया है जब डॉलर की वैल्यू 1973 के बाद से सबसे ज्यादा गिरी है और वैश्विक व्यापार में उसकी पकड़ धीरे-धीरे कमजोर होती दिख रही है.

कौन-कौन से देश बन रहे हैं डॉलर की चुनौती?

1. BRICS और BRICS+ देश

ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका जैसे देश डॉलर को छोड़कर एक साझा डिजिटल करेंसी लाने की कोशिश में हैं. इनके साथ इंडोनेशिया, मलेशिया, तुर्की, नाइजीरिया जैसे नए सदस्य भी जुड़ गए हैं. BRICS+ देश अब ग्लोबल GDP का 28% और व्यापार का 25% नियंत्रित करते हैं.

2. CIS देश

रूस के नेतृत्व में आर्मेनिया, कजाकिस्तान, उज़्बेकिस्तान जैसे देशों ने डॉलर को छोड़कर अपनी करेंसी या अन्य विकल्पों में व्यापार करना शुरू कर दिया है.

3. चीन और रूस की जोड़ी

चीन युआन को इंटरनेशनल करेंसी बनाने में लगा है. रूस के साथ मिलकर युआन और रूबल में व्यापार बढ़ रहा है. SWIFT के विकल्प भी तैयार हो रहे हैं.

4. भारत की रणनीति

भारत ने रूस, यूएई, बांग्लादेश और सिंगापुर जैसे देशों से रुपये में व्यापार शुरू किया है. RBI ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए रुपये में SRVA अकाउंट्स की इजाजत दी है. UPI को भी भारत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रमोट कर रहा है.

5. अफ्रीका और अन्य देश

अफ्रीकी देशों समेत ईरान और उत्तर कोरिया जैसे प्रतिबंधित देशों ने भी डॉलर से दूरी बना ली है और लोकल पेमेंट सिस्टम अपना रहे हैं.

ट्रंप क्यों हो गए हैं इतने सख्त?

ट्रंप का कहना है कि डॉलर स्टैंडर्ड को खो देना मतलब युद्ध हार जाना होगा. अगर दुनिया ने डॉलर को छोड़ दिया, तो अमेरिका की आर्थिक ताकत कमजोर हो जाएगी. इसलिए वह अब पहले से ज्यादा सख्ती दिखा रहे हैं, ताकि डॉलर की बादशाहत बनी रहे.

डॉलर को बचाने की ट्रंप की ये रणनीति बताती है कि ग्लोबल करेंसी सिस्टम में बड़ा बदलाव आ रहा है. हालांकि डॉलर अभी भी सबसे ताकतवर है, लेकिन BRICS+, भारत और अन्य देशों की नई नीतियां इसे धीरे-धीरे चुनौती दे रही हैं.