दुनिया की सबसे ताकतवर करेंसी मानी जाने वाली अमेरिकी डॉलर को लेकर इन दिनों अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का रुख काफी सख्त और आक्रामक नजर आ रहा है. इसकी वजह है कई देशों का अमेरिकी डॉलर से दूरी बनाना और अपनी लोकल करेंसी या डिजिटल करेंसी को बढ़ावा देना. ट्रंप ने साफ कहा कि डॉलर दुनिया की करेंसी का "किंग" है और वह इसे ऐसा ही बनाए रखना चाहते हैं.
ट्रंप ने BRICS देशों और उनके नए साथियों को कड़ी चेतावनी दी है कि अगर वे डॉलर छोड़ने की कोशिश करेंगे, तो अमेरिका 10% से 100% तक टैरिफ लगा सकता है. यह बयान ऐसे समय आया है जब डॉलर की वैल्यू 1973 के बाद से सबसे ज्यादा गिरी है और वैश्विक व्यापार में उसकी पकड़ धीरे-धीरे कमजोर होती दिख रही है.
1. BRICS और BRICS+ देश
ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका जैसे देश डॉलर को छोड़कर एक साझा डिजिटल करेंसी लाने की कोशिश में हैं. इनके साथ इंडोनेशिया, मलेशिया, तुर्की, नाइजीरिया जैसे नए सदस्य भी जुड़ गए हैं. BRICS+ देश अब ग्लोबल GDP का 28% और व्यापार का 25% नियंत्रित करते हैं.
रूस के नेतृत्व में आर्मेनिया, कजाकिस्तान, उज़्बेकिस्तान जैसे देशों ने डॉलर को छोड़कर अपनी करेंसी या अन्य विकल्पों में व्यापार करना शुरू कर दिया है.
चीन युआन को इंटरनेशनल करेंसी बनाने में लगा है. रूस के साथ मिलकर युआन और रूबल में व्यापार बढ़ रहा है. SWIFT के विकल्प भी तैयार हो रहे हैं.
भारत ने रूस, यूएई, बांग्लादेश और सिंगापुर जैसे देशों से रुपये में व्यापार शुरू किया है. RBI ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए रुपये में SRVA अकाउंट्स की इजाजत दी है. UPI को भी भारत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रमोट कर रहा है.
अफ्रीकी देशों समेत ईरान और उत्तर कोरिया जैसे प्रतिबंधित देशों ने भी डॉलर से दूरी बना ली है और लोकल पेमेंट सिस्टम अपना रहे हैं.
ट्रंप का कहना है कि डॉलर स्टैंडर्ड को खो देना मतलब युद्ध हार जाना होगा. अगर दुनिया ने डॉलर को छोड़ दिया, तो अमेरिका की आर्थिक ताकत कमजोर हो जाएगी. इसलिए वह अब पहले से ज्यादा सख्ती दिखा रहे हैं, ताकि डॉलर की बादशाहत बनी रहे.
डॉलर को बचाने की ट्रंप की ये रणनीति बताती है कि ग्लोबल करेंसी सिस्टम में बड़ा बदलाव आ रहा है. हालांकि डॉलर अभी भी सबसे ताकतवर है, लेकिन BRICS+, भारत और अन्य देशों की नई नीतियां इसे धीरे-धीरे चुनौती दे रही हैं.