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इजरायल के अटैक से कैसे पार पाएगा ईरान? यहां समझिए पूरा गुणा गणित

Israel Iran Conflict: ईरान के इजरायल पर मिसाइली हमले के बाद पूरे इलाके में तनाव कायम है. इजरायल भी हमले का जवाब देने के लिए लगातार वॉर कैबिनेट की बैठकें कर रहा है. प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरान पर हमला न करने के अमेरिकी आग्रह को दरकिनार कर दिया है.

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Israel Iran Conflict: इजरायल ने इस महीने की शुरुआत में सीरिया में उसके कांसुलेट पर हमला किया था. इस हमले में ईरानी सेना के दो टॉप कमांडर सहित 13 लोगों की मौत हो गई थी. इस हमले के बाद गुस्साए तेहरान ने जवाबी कार्रवाई की धमकी दी और कहा कि इजरायल को इसका अंजाम भुगतना होगा. हमले के कुछ दिनों बाद ईरान ने बीते रविवार की देर रात इजरायल के ऊपर सैकड़ों ड्रोन्स और मिसाइलों के जरिए हमला बोल दिया. ईरान की जवाबी कार्रवाई के बाद इजरायल सरकार गुस्से में है और बदला लेने की बात कह रही है. प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू लगातार वॉर कैबिनेट के साथ बैठक कर रहे हैं जो यह तय करने की कोशिश कर रही है कि तेहरान को इस हमले का जवाब कैसे दिया जाए. हमला होने की स्थिति में ईरान क्या जवाब देगा यह तो वक्त बताएगा.

मध्य पूर्व मामलों के जानकार बताते हैं कि इजरायल द्वारा उठाया गया कोई भी अव्यवहारिक कदम तनाव ग्रस्त मिडिल ईस्ट को और अशांत कर सकता है. ईरान सरकार हमला करने के बाद यह साफ कर चुकी है तेल अवीव ने उसकी संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा को नुकसान पहुंचाया हमने उसी के जवाब में अपनी प्रतिक्रया दी. इसे यहीं तक समझा जाए.  इसके बाद भी यदि इजरायली नेतृ्त्व फिर से इस तरह की हरकत करता है तो तेहरान पहले से व्यापक हमला करके जवाब देगा. लेकिन सवाल यह है कि क्या ईरान वाकई इजरायली हमलों का जवाब देने में सक्षम है क्योंकि इजरायल तकनीकी और वायुसेना के मुकाबले में ईरान से कहीं ज्यादा आगे है. 

ईरान ने अपनी अर्थव्यवस्था के मामले में अपनी स्थानीय क्षमताओं पर भरोसा करने पर जोर दिया है, लेकिन इसके सैन्य क्षेत्र में भी इसी तरह का दबाव देखा जा सकता है.  वह परमाणु कार्यक्रम और अमेरिका से दुश्मनी के कारण लंबे समय से प्रतिबंधों का सामना कर रहा है. इस्लामिक क्रांति के बाद शाह रजा पहलवी के शासन का अंत हुआ जिसे व्हाइट हाउस का समर्थन प्राप्त था. ईरान के पास ज्यादातर हथियार 1979 की इस्लामिक क्रांति से पहले के हैं जो रूस द्वारा निर्मित हैं. ये हथियार इजरायल के पास मौजूद घातक लड़ाकू विमान एफ-35 विमानों का सामना करने में सक्षम नहीं हैं. ईरान काफी समय से रूस निर्मित एसयू-35 फाइटर जेट विामनों की डिलीवरी को लेकर बातचीत कर रहा है. हालांकि ईरानी वायु सेना अपने खुद के फाइटर जेट भी बना रही है. इनका नाम साकेह और कौसर है जो अमेरिकी लड़ाकू विमानों के डिजाइन पर आधारित है. 

ईरान द्वारा संचालित सबसे लंबी दूरी की मिसाइल रक्षा प्रणाली स्थानीय रूप से विकसित बावर-373 है.  जिसे एक दशक के विकास और परीक्षण के बाद 2019 में सेवा में प्रवेश किया और तब से इसमें काफी सुधार किया जा रहा है. साल 2022 में ईरानी सेना ने उन्नत बावर-373 मिसाइल का प्रदर्शन किया. अधिकारियों ने बताया कि इसकी रडार पहचान की सीमा 350 किमी (217 मील) से बढ़कर 450 किमी (280 मील) हो गई है और अब यह उन्नत सैय्यद 4बी सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों से लैस है.  यह लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों, ड्रोन और स्टील्थ फाइटर जेट सहित - 400 किमी तक के लक्ष्यों को नष्ट करने में सक्षम है. इसके अलावा एक साथ छह लक्ष्यों पर हमला कर सकता है, और उन्हें 300 किमी (186 मील) तक की दूरी पर मार सकता है.

ईरानी राज्य मीडिया ने कहा है कि यह प्रणाली कुछ पहलुओं में रूसी निर्मित एस-300 प्रणाली से बेहतर है और यहां तक ​​कि अधिक उन्नत एस-400 बैटरियों के बराबर है. यह दुनिया की सबसे उन्नत प्रणालियों में से एक है.  बावर-373 ने ईरान में सैन्य अभ्यास के बाहर युद्ध नहीं किया है. जानकार इसे दुनिया के सबसे घने वायु रक्षा नेटवर्क में से एक मानते हैं. रूस की टोर मिसाइल रक्षा प्रणालियों के अलावा, ईरान S-300 सिस्टम भी संचालित करता है. 

ईरान के साथ एक दशक से अधिक समय से चल रहे छाया युद्ध में जो तेजी से अब और भी ज्यादा व्यापक हो गया है . ईरान ने इस युद्ध को इजरायल के खिलाफ ही शुरु किया है ताकि इस क्षेत्र में उसकी ताकत प्रभावित न हो. हालांकि इजरायल कई बार ईरानी परमाणु सुविधा केंद्रों पर छिट पुट हमले कर चुका है. तेल अवीव ने उसकी एक गैस पाइप लाइन को भी प्रभावित किया है. इजरायल को व्यापक तौर पर साइबर हमलों का सरताज माना जाता है. ईरान ने कई बंदरगाहों, हवाई अड्डों और पेट्रोल स्टेशन पर भी इजरायल पर साइबर हमले का आरोप लगाया है. हालांकि, ईरान ने बीते कुछ सालों में अपनी प्रॉक्सीज के जरिए तेल अवीव को करार जवाब भी दिया है.

ईरान ने भी कई बार इजरायल में साइबर हमलों को अंजाम दिया है. इन सब तथ्य़ों को ध्यान में रखते हुए अमेरिका कोशिश कर रहा है यह तनाव और ज्यादा न भड़के इसलिए विदेश मंत्री ब्लिंकन लगातार इजरायल और ईरान से बातचीत करने की कोशिश कर रहे हैं. अमेरिका और उसके सहयोगियों को यह पता है कि इजरायल द्वारा कोई भी हमला भयानक परिणाम चुकाने वाला हो सकता है. इस स्थिति में अमेरिका को भी अपने सहयोगी इजरायल की मदद के लिए लामबंद होना पड़ेगा जिसकी आग कई देशों तक फैलेगी.