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India Daily

अमेरिका के गोल्डन डोम प्रोजेक्ट से छूटे चीन के पसीने, कहा- युद्ध का मैदान बन जाएगा अंतरिक्ष

'गोल्डन डोम' अमेरिका की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है, जिसका उद्देश्य अंतरिक्ष में मिसाइल डिफेंस शील्ड स्थापित करना है ताकि बैलिस्टिक मिसाइलों को नष्ट किया जा सके.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
China calls on the US to abandon its space-based Golden Dome missile defense project

चीन ने अमेरिका से अपनी अंतरिक्ष-आधारित 'गोल्डन डोम' मिसाइल रक्षा परियोजना को तत्काल रद्द करने का आह्वान किया है. चीन का कहना है कि यह परियोजना वैश्विक सुरक्षा और हथियार नियंत्रण व्यवस्था के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकती है.

चीन की चेतावनी
चीन के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “यह परियोजना अंतरिक्ष को युद्ध का मैदान बनाने और हथियारों की दौड़ शुरू करने का जोखिम बढ़ाएगी, साथ ही अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा और हथियार नियंत्रण व्यवस्था को अस्थिर करेगी.” यह बयान सोमवार, 26 मई 2025 को बीजिंग में जारी किया गया. चीन का मानना है कि 'गोल्डन डोम' परियोजना, जो अंतरिक्ष में मिसाइल रक्षा प्रणाली तैनात करने की योजना है, वैश्विक शक्ति संतुलन को बिगाड़ सकती है.

क्या है 'गोल्डन डोम'
'गोल्डन डोम' अमेरिका की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है, जिसका उद्देश्य अंतरिक्ष में मिसाइल रक्षा ढाल स्थापित करना है ताकि बैलिस्टिक मिसाइलों को नष्ट किया जा सके. इस परियोजना को अमेरिकी रक्षा विभाग ने रणनीतिक सुरक्षा बढ़ाने के लिए शुरू किया था. हालांकि, चीन का दावा है कि यह परियोजना न केवल अंतरिक्ष के सैन्यीकरण को बढ़ावा देगी, बल्कि अन्य देशों को भी समान हथियार विकसित करने के लिए प्रेरित कर सकती है.

वैश्विक सुरक्षा पर प्रभाव
चीन ने चेतावनी दी कि इस परियोजना से अंतरराष्ट्रीय हथियार नियंत्रण समझौतों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. “यह परियोजना अंतरिक्ष को युद्ध का मैदान बनाने और हथियारों की दौड़ शुरू करने का जोखिम बढ़ाएगी, साथ ही अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा और हथियार नियंत्रण व्यवस्था को अस्थिर करेगी,” चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने दोहराया. उन्होंने अमेरिका से इस परियोजना को रद्द करने और अंतरिक्ष को शांतिपूर्ण उपयोग के लिए संरक्षित रखने की अपील की.

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
चीन की इस मांग ने वैश्विक मंच पर बहस छेड़ दी है. कई देशों ने अंतरिक्ष के सैन्यीकरण के खिलाफ चिंता जताई है, जबकि अमेरिका ने अभी तक इस मांग पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है. यह मुद्दा संयुक्त राष्ट्र और अन्य मंचों पर चर्चा का विषय बन सकता है.