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कौन है सियासत का 'सालार', AIMIM वाले असदुद्दीन ओवैसी से क्या है कनेक्शन?

Hyderabad: इन दिनों असदुद्दीन ओवैसी और अकबरुद्दीन ओवैसी खूब चर्चा में हैं. नवनीत राणा को जवाब देते हुए असदुद्दीन ओवैसी ने अपने भाई को 'सालार का बेटा' बताया है.

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Owaisi Family
Courtesy: Social Media

11 साल पहले एक बयान खूब चर्चा में आया था. 15 मिनट के लिए पुलिस हटा लेने की धमकी वाले इस बयान का जवाब अब 15 सेकेंड से दिया गया है. नेताओं की इस बयानबाजी में एक फिल्मी शब्द 'सालार' खूब गूंज रहा है. हैदराबाद की एक चुनावी रैली में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की नेता नवनीत राणा ने अकबरुद्दीन ओवैसी के 11 साल पुराने बयान का जवाब दिया था और धमकी दे डाली थी कि 15 सेकेंड के लिए पुलिस हट जाए तो छोटे-बड़े ब्रदर गायब हो जाएंगे. अब आरोप-प्रत्यारोप की यह राजनीति बाप-दादाओं तक जा रही है. इसी बयानबाजी में असदुद्दीन ओवैसी ने एक ऐसे शख्स का जिक्र कर दिया है जिसे 'सालार' के नाम से भी जाना जाता था. 

नवनीत राणा को जवाब देते हुए असदुद्दीन औवैसी ने धमकी भरे अंदाज में कहा कि उन्होंने अपने छोटे भाई यानी अकबरुद्दीन ओवैसी को रोक रखा है. सोशल मीडिया पर आए एक वीडियो में ओवैसी कहते हैं, 'वो एमपी साहिबा... महाराष्ट्र से आकर छोटे-छोटे... अरे छोटे को रोककर रखा हूं. अगर जिस दिन मैंने छोटे को कहा कि मिंया मैं आराम करता हूं, अब तुम संभाल लो. फिर तुम संभालते रहना. छोटे-छोटे.. तुमको मालूम ही क्या है कि छोटा क्या है? तोप है वो. सालार का बेटा है. उसको समझाने वाले का नाम असदुद्दीन ओवैसी है, किसी की बाप की नहीं सुनने वाला है छोटा.'

कौन है सालार?

जी हां, असदुद्दीन ओवैसी ने यहां जिस 'सालार' का नाम लिया है, वह कोई और नहीं बल्कि असुदद्दीन ओवैसी और अकबरुद्दीन ओवैसी के पिता सुल्लान सलाहुद्दीन ओवैसी को ही कहा जाता है. 'सालार' का मतलब भी कमांडर या मुखिया से होता है. कुछ साल पहले आई फिल्म 'सालार' में भी नायक को एक ऐसा कमांडर दिखाया गया था जो अपनों के लिए सबसे लड़ जाता है. यही वजह है कि असदुद्दीन ललकारते हुए अपने भाई को 'सालार का बेटा' बता रहे हैं.

सुल्तान सलाहुद्दीन लगातार 6 बार हैदराबाद के सांसद बने थे. उनके निधन के बाद से असदुद्दीन ओवैसी यहां से जीतते आ रहे हैं. सुल्तान सलाहुद्दीन कई बार विधायक भी बने थे. अपने लोगों और गरीबों के लिए काम करने, उनके लिए खड़े रहने और हर वक्त उनका साथ देने के लिए सलाहुद्दीन हैदराबाद में सबके नेता बन गए थे. गरीब मुसलमानों के नेता के तौर पर अपनी पहचान बनाने वाले सलाहुद्दीन को 'सालार-ए-मिल्लत' की उपाधि भी दी गई थी.