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Sheikh Shahjahan Arrested: 17 कारें, 43 बीघा जमीन, बैंक अकाउंट में करोड़ों... कैसे मजदूर से संदेशखाली का 'शाहजहां' बन गया शेख?

Sheikh Shahjahan Arrested: पश्चिम बंगाल के संदेशखाली के मास्टरमाइंड शेख शाहजहां को 55 दिनों बाद गिरफ्तार कर लिया गया. कोर्ट में पेशी के बाद उसे 10 दिनों की पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया है. आइए जानते हैं कि 1990 में मजदूरी करने वाला शेख आखिर संदेशखाली का 'शाहजहां' कैसे बन गया?

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India Daily Live

Sheikh Shahjahan Arrested: पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता से 80 किलोमीटर दूर एक इलाका है, जो संदेशखाली के नाम से जाना जाता है. संदेशखाली पिछले 55 दिनों से नेशनल मीडिया में सुर्खियों में था. इसका कारण संदेशखाली हिंसा का मास्टरमाइंड शेख शाहजहां था, जो 5 जनवरी को ED की टीम पर हमले के बाद से फरार था. संदेशखाली का मामला कोलकाता हाई कोर्ट से होते हुए सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा. आखिरकार अब पश्चिम बंगाल पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है. 

संदेशखाली हिंसा के मास्टरमाइंड की गिरफ्तारी के बाद एक सवाल ये कि आखिर टीएमसी से संबंध रखने वाला शेख शाहजहां कौन है? आखिर कैसे वो 55 दिनों तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर रहा? आखिर कैसे उसने करीब 33 सालों में करोड़ों रूपये की संपत्ति जमा कर ली? आखिर किसने उसे संदेशखाली का शाहजहां बना दिया? आइए, सिलसिलेवार इन सवालों के जवाब जानते हैं...

टीएमसी से संबंध रखने वाला शेख शाहजहां कौन है?

संदेशखाली पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश की सीमा के पास पड़ता है. दावा किया जाता है कि शेख शाहजहां काफी वक्त पहले बांग्लादेश से पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में आ गया था. इसके बाद उसने एक ईंट भट्ठे पर मजदूरी करना शुरू कर दिया. मजदूरी करते-करते उसने अपनी जान-पहचान का दायरा बढ़ाना शुरू कर दिया. फिर मजदूरों की भलाई से जुड़े एक यूनियन में शामिल हो गया. फिर उसने खुद एक यूनियन का गठन कर लिया. ये वो समय था, जब राज्य लेफ्ट की सरकार थी.

यूनियन की राजनीति करते-करते शेख शाहजहां संदेशखाली CPI (M) में शामिल हो गया. जब लेफ्ट की सरकार गई और पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार बनी, तो उसने पाला बदल लिया और 2012 में टीएमसी में शामिल हो गया. कुछ दिनों के कामकाज के दौरान ही वो टीएमसी के बड़े नेताओं की नजर में आ गया. फिर उसने तत्कालीन उत्तर 24 परगना के टीएमसी जिला अध्यक्ष ज्योतिप्रिय मलिक के साथ काम किया. अब आज के वक्त में संदेशखाली में शेख शाहजहां का एक मछली फार्म, एक ईंट भट्टा और शॉपिंग कॉम्प्लेक्स है. 

आखिर कैसे वो 55 दिनों तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर रहा?

शेख शाहजहां फिलहाल उत्तर 24 परगना जिला परिषद का सदस्य ्है. वो जिला परिषद के मछली और पशुपालन डिपार्टमेंट का चीफ भी है. साथ ही संदेशखाली ब्लॉक अध्यक्ष भी है. मीडिया में पहली बार उसका नाम 5 जनवरी को आया था. दरअसल, बंगाल में हुए राशन घोटाले के सिलसिले में पूर्व खाद्य मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक को गिरफ्तार किया जा चुका था. मल्लिक के करीबी होने के बाद केंद्रीय जांच एंजेसी ED शेख शाहजहां को तलाश रही थी. 5 जनवरी को ED की टीम शेख शाहजहां के घर पहुंची, लेकिन सैंकड़ों लोगों ने ED की टीम पर लाठी-डंडो से हमला कर दिया, जिसके बाद शेख शाहजहां फरार हो गया. ED की टीम पर हमले की खबरें तो आईं लेकिन शेख शाहजहां का उतना जिक्र नहीं हुआ. 

हालांकि, बाद में संदेशखाली की महिलाओं ने जब शेख शाहजहां के खिलाफ जमीन पर जबरन कब्जा और यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया, तो अचानक संदेशखाली मामला और शेख शाहजहां नेशनल मीडिया की सुर्खियों में आ गया. इस बीच शेख शाहजहां की ओर से अग्रिम जमानत याचिका भी दाखिल की गई लेकिन उसकी याचिका को खारिज कर दिया गया. सवाल उठने लगे कि आखिर शेख शाहजहां इतने दिनों तक पुलिस की गिरफ्त से कैसे दूर है, जबकि संदेशखाली के लोगों ने कई बार दावा किया कि उसे संदेशखाली इलाके में ही देखा गया है. चूंकि शेख शाहजहां जिस पार्टी से जुड़ा है, उसकी राज्य में सरकार है. राज्य के पूर्व मंत्री से उसकी नजदीकी थी, शायद इसी का फायदा उठाकर वो 55 दिनों तक पुलिस की गिरफ्त से दूर रहा.

आखिर कैसे उसने करीब 33 सालों में करोड़ों रुपये की संपत्ति जमा कर ली?

संदेशखाली के लोगों की माने तो शेख शाहजहां बांग्लादेश से आकर यहां बस गया है. साल 2002 में जब शेख शाहजहां ने ईंट भट्ठे के मजदूरों से जुड़ा यूनियन बनाया, तो स्थानीय CPI (M) के नेताओं की नजरों में आ गया. करीब दो साल बाद उसने CPI (M) को ज्वाइन कर लिया. जैसे ही उसने राजनीतिक पार्टी शुरू की, उसके अवैध कब्जे और काली संपत्ति जुटाने का सिलसिला शुरू हो गया. 

स्थानीय लोगों का आरोप है कि उसने आदिवासियों की जमीनों को पहले लीज पर लेना शुरू किया, फिर धीरे-धीरे उन जमीनों पर कब्जा भी करना शुरू कर दिया. आदिवासियों से जमीनों को लीज पर लेकर शेख उसमें मछली पालन करने लगा. कहा जाता है कि अगर कोई आदिवासी उसे लीज पर जमीन देने से मना कर देता था, तो वो उनकी जमीनों पर जबरन कब्जा कर लेता था. ये सिलसिला लगातार चलता गया और वो अवैध तरीके से जमीनों पर कब्जा करता गया. ये सब कुछ उसने सीबीआई-एम सरकार की सरपरस्ती में किया.

आखिर किसने उसे संदेशखाली का शाहजहां बना दिया?

संदेशखाली के लोग बताते हैं कि 2011 में जब पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार बनी तो शेख शाहजहां ने टीएमसी ज्वाइन करने का फैसला किया. आखिरकार टीएमसी की सरकार बनने के करीब एक साल बाद यानी 2012 में ममता बनर्जी की पार्टी से जुड़ गया. टीएमसी ज्वाइन करने के कुछ महीनों बाद उसकी मुलाकात उस समय के टीएमसी महासचिव मुकुल रॉय और उस दौरान नॉर्थ 24 परगना के जिला अध्यक्ष ज्योतिप्रिय मलिक से मिला. कहा जाता है कि इन दोनों नेताओं के संरक्षण में वो लगातार उन कामों को अंजाम देने लगा, जो वो पिछली सरकार के दौरान करता था. 

स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो शेख शाहजहां ज्योतिप्रिय मलिक के ज्यादा करीब था. वो अवैध कामों से जुटाए गए धन का कुछ हिस्सा मलिक को भी पहुंचाता था. धीरे-धीरे कर उसने अवैध कमाई से अकूत संपत्ति जुटा ली. आज उसके पास 17 कार, 43 बीघा जमीन, 2 करोड़ के गहने और बैंक में करीब 2 करोड़ रुपये जमा हैं. 

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