नई दिल्ली से आई इस खबर ने शिक्षा जगत और छात्रों के बीच नई जिज्ञासा जगा दी है. एनसीईआरटी ने घोषणा की है कि अब छात्र-छात्राओं को पाठ्यक्रम के साथ-साथ ऑपरेशन सिंदूर की कहानी भी पढ़ाई जाएगी. यह वही ऑपरेशन है जिसने मई 2025 में आतंकवादियों को उनकी जमीन पर जवाब दिया और पूरी दुनिया को दिखा दिया कि भारत आतंक के खिलाफ किसी भी हद तक जा सकता है.
मॉड्यूल्स में साफ लिखा गया है कि भले ही पाकिस्तान ने पहलगाम आतंकी हमले में अपनी भूमिका से इनकार किया, लेकिन यह हमला सीधे तौर पर पाकिस्तान की सैन्य और राजनीतिक नेतृत्व के आदेश पर ही हुआ था. इसके जवाब में भारत ने 7 मई 2025 को मिसाइल और एयर स्ट्राइक के जरिए पाकिस्तान और पीओके में मौजूद नौ आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया. इनमें से सात ठिकाने भारतीय सेना ने नष्ट किए, जबकि मुरिदके और बहावलपुर में मौजूद जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के nerve centres को वायुसेना ने ध्वस्त किया.
मॉड्यूल्स में इस बात पर जोर दिया गया है कि भारत ने हर लक्ष्य को दो बार जांचा ताकि कोई आम नागरिक हानि न उठाए. केवल आतंकियों के अड्डों को ही निशाना बनाया गया. यह दिखाने के लिए कि भारत आतंकवादियों को तो सजा देगा, लेकिन निर्दोषों को कभी नुकसान नहीं पहुंचाएगा. इसे भारत की सैन्य क्षमता और नैतिक संकल्प का प्रतीक बताया गया.
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान देशभर में लोगों ने जबरदस्त एकजुटता दिखाई. कैंडल मार्च आयोजित किए गए, मुस्लिम समुदायों ने हैदराबाद, लखनऊ और भोपाल में काले बैंड पहनकर आतंकी हमले की निंदा की. कश्मीर में दुकानदारों ने दुकानें बंद रखीं और सीमा से सटे गांवों ने सेना का खुलकर समर्थन किया. मॉड्यूल्स में यह भी बताया गया है कि स्थानीय कश्मीरी जनता आतंकियों के खिलाफ खड़ी हुई और इसने दुनिया को शांति पसंद लोगों की असली आवाज सुनाई.
ऑपरेशन सिंदूर नाम उन शहीदों की विधवाओं को सम्मान देने के लिए चुना गया, जो पहलगाम हमले में अपने प्रियजनों को खो चुकी थीं. मॉड्यूल्स में 1947, 1965, 1971 और 1999 के युद्धों से लेकर पुलवामा हमले के बाद बालाकोट एयर स्ट्राइक तक का जिक्र करते हुए बताया गया है कि भारत कभी पीछे नहीं हटा. यह ऑपरेशन जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा, हिज्बुल मुजाहिदीन और आईएसआई जैसे संगठनों को संदेश था कि आतंकवाद की कीमत चुकानी ही होगी.