Lok Sabha Elections 2024: कांग्रेस राजस्थान के बांसवाड़ा लोकसभा सीट पर अपने ही प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव प्रचार कर रही है. सवाल ये कि आखिर कांग्रेस ऐसा कर क्यों रही है? एक सवाल और ये कि आखिर कांग्रेस अपने प्रत्याशी का विरोध कर रही है, तो फिर समर्थन किसका कर रही है? आइए, जानते हैं पूरा मामला.
कहा जा रहा है कि देश में संभवत: बांसवाड़ा ऐसी सीट है, जहां कांग्रेस अपनी ही पार्टी के उम्मीदवार के खिलाफ और भारत आदिवासी पार्टी (BAP) के पक्ष में प्रचार कर रही है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, देश की सबसे पुरानी पार्टी के भीतर आंतरिक संघर्ष, राजस्थान कांग्रेस, केंद्रीय इकाइयों के बीच तालमेल की कमी और आलाकमान की हिचकिचाहट के बाद ऐसी स्थिति आई है और कांग्रेस 5 महीने पुरानी BAP के प्रत्याशी का समर्थन कर रही है. हालांकि, कांग्रेस के अपने उम्मीदवार अरविंद डामोर भी मैदान में बने हुए हैं.
इसके अलावा, बांसवाड़ा लोकसभा सीट के अंदर आने वाली बागीदौरा विधानसभा सीट पर भी ऐसा ही कुछ मामला सामने आया है. यहां भी कांग्रेस कार्यकर्ता अपने उम्मीदवार कपूर सिंह का विरोध कर रहे हैं और BAP के प्रत्याशी जयकृष्ण पटेल के लिए घर-घर जाकर प्रचार करने में लगे हुए हैं. बांसवाड़ा लोकसभा और बागीदौरा विधानसभा सीट पर 26 अप्रैल को मतदान होना है.
2023 के विधानसभा चुनावों में हार के बाद, कांग्रेस ने आदिवासी क्षेत्र में 3 सीटें हासिल करने वाली पार्टी BAP के साथ गठबंधन के लिए बातचीत शुरू की थी. बातचीत में शुरुआती दौर में ही कुछ रुकावटें आईं. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिकक, BAP ने राज्य की 25 में से 22 संसदीय सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवारों का समर्थन करने के बदले में अपने उम्मीदवारों के लिए 3 लोकसभा सीटों (उदयपुर, बांसवाड़ा और चित्तौड़गढ़) की मांग कर दी.
इस बीच, कांग्रेस ने बांसवाड़ा से अपने लोकसभा उम्मीदवार के रूप में 4 बार के विधायक और पूर्व कैबिनेट मंत्री महेंद्रजीत सिंह मालवीय पर दांव लगाने का फैसला किया. फरवरी के पहले सप्ताह में बांसवाड़ा और डूंगरपुर में कांग्रेस की कोर कमेटी ने महेंद्रजीत सिंह मालवीय की उम्मीदवारी का समर्थन किया. हालांकि, 19 फरवरी को विधानसभा में विपक्ष का नेता नहीं बनाए जाने से नाराज मालवीय भाजपा में शामिल हो गए.
मालवीय के भाजपा में जाने के बाद ये क्लीयर हो गया कि मालवीय को बांसवाड़ा में भाजपा का प्रत्याशी बनाया जाएगा. मालवीय के भाजपा में जाने के बाद कांग्रेस ने न केवल एक बड़े नेता को खो दिया, बल्कि वोटर्स का एक बड़ा हिस्सा भी गवां दिया. इसके बाद कांग्रेस और BAP के बीच गठबंधन की आवश्यकता फिर से महसूस की जाने लगी.
फरवरी तक, BAP ने स्पष्ट कर दिया था कि उसके संस्थापक सदस्य और दो बार के विधायक राजकुमार रोत बांसवाड़ा से संसदीय चुनाव लड़ेंगे. 3 अप्रैल को अपना नामांकन दाखिल करने वाले रोत ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि राजस्थान कांग्रेस और इसके केंद्रीय इकाइयों के बीच खराब तालमेल के कारण गठबंधन के लिए बातचीत में देरी हुई. BAP के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहनलाल रोत ने कहा कि कई बार, कांग्रेस पदाधिकारियों ने बातचीत के समय और तारीख में बदलाव किया. उन्होंने कहा कि इससे हमें गठबंधन की कोई उम्मीद नहीं बची, इसलिए हमने बांसवाड़ा, उदयपुर और चित्तौड़गढ़ में अपने उम्मीदवार उतारे.
BAP की उम्मीदवारी से घबराई कांग्रेस ने 4 अप्रैल (नामांकन की आखिरी तारीख से एक रात पहले) को लोकसभा चुनाव और विधानसभा उपचुनाव के लिए उम्मीदवारों को अंतिम रूप देने के लिए बांसवाड़ा और डूंगरपुर में अपनी जिला इकाइयों को अधिकार दे दिया. इसके बाद, कांग्रेस ने NSUI पदाधिकारी डामोर को अपना उम्मीदवार घोषित किया. नामांकन दाखिल होते ही कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने डामोर के लिए चुनाव प्रचार भी शुरू कर दिया. कांग्रेस के एक सीनियर नेता ने बताया कि कहानी में एक और मोड़ तब आया जब राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने 7 अप्रैल को बांसवाड़ा में BAP के साथ गठबंधन की घोषणा की. रंधावा ने कहा कि अरविंद दामोर और कपूर सिंह BAP के समर्थन में अपना नामांकन वापस लेंगे. BAP अब इंडिया गठबंधन का हिस्सा है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब अरविंद दामोर को पता चला कि उन्हें अपना नामांकन वापस लेना है तो वे 'अंडरग्राउंड' हो गए और नामांकन वापस लेने की समय सीमा समाप्त होने के बाद ही सामने आए. कांग्रेस ने तुरंत घोषणा की कि दामोर और कपूर को पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए छह महीने के लिए निलंबित कर दिया जाएगा. साथ ही पार्टी के कार्यकर्ताओं को BAP प्रत्याशियों के समर्थन में चुनाव प्रचार करने का निर्देश दे दिया. हालांकि, दामोर और कपूर ने औपचारिक निलंबन आदेश का कभी पालन नहीं किया.
इसके बाद कांग्रेस की ओर से कहा गया कि BAP का समर्थन करना उन पार्टियों और उम्मीदवारों का समर्थन करने की उसकी राष्ट्रीय नीति का हिस्सा है, जो भाजपा को हराने की क्षमता रखते हैं. हालांकि, BAP की तुलना में इंडिया गठबंधन का चौंकाने वाला 'गठबंधन' सिर्फ बांसवाड़ा तक चर्चा में नहीं है. BAP ने उदयपुर और चित्तौड़गढ़ में कांग्रेस के खिलाफ उम्मीदवार उतारे हैं.
इस मामले पर कांग्रेस के एक नेता का कहना है कि जहां तक बांसवाड़ा की बात है, हमने गठबंधन के कैंडिडेट रोत को अपना समर्थन दिया है. उधर, BAP के नेता रोत ने कहा कि देश में भाजपा के खिलाफ व्याप्त भावना के कारण ये BAP के साथ गठबंधन को जरूरी समझा गया. इंडिया ब्लॉक में शामिल पार्टियों को एख साथ आना जरूरी लगा, क्योंकि भाजपा ने सारी सीमाएं लांघ दीं. उन्होंने अरविंद केजरीवाल और हेमंत सोरेन को जेल में डाल दिया, कांग्रेस और विपक्षी सांसदों को संसद से निलंबित कर दिया. ये महत्वपूर्ण है कि विभिन्न विचारधाराओं के लोग मिलकर इस तानाशाही को समाप्त करें.