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Lok Sabha elections 2024: आखिर प्रियंका गांधी रायबरेली की उम्मीदवारी से क्यों बाहर हो गईं? भाजपा ने लगाए थे ये आरोप

Lok Sabha elections 2024: कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी का नाम रायबरेली लोकसभा सीट से उम्मीदवार के तौर पर सबसे आगे चल रहा था. लेकिन अचानक ऐन मौके पर प्रियंका की जगह राहुल गांधी को अमेठी के बजाए रायबरेली सीट से लड़ने के लिए चुनावी मैदान में उतार दिया गया. रायबरेली पारंपरिक रूप से सोनिया गांधी की सीट थी, जहां से उन्होंने 2019 तक जीत हासिल की थी.

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Lok Sabha elections 2024 Why Priyanka Gandhi drop out of Rae Bareli candidature

Lok Sabha elections 2024: प्रियंका गांधी का नाम रायबरेली लोकसभा सीट से बिलकुल तय बताया जा रहा था, लेकिन आखिरी वक्त में उलटफेर हुआ और कांग्रेस ने चौंकाते हुए प्रियंका की जगह राहुल गांधी को इस सीट से चुनावी मैदान में उतार दिया. रायबरेली से राहुल गांधी को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद सवाल खड़े होने लगे कि आखिर क्यों प्रियंका गांधी आखिरी वक्त में उम्मीदवारी की रेस से बाहर हो गईं. इसे लेकर कांग्रेस के पूर्व नेता और प्रियंका गांधी के करीबी रहे प्रमोद कृष्णम ने सनसनीखेज आरोप भी लगाए थे.

हालांकि, कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि अगर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने 2024 के लोकसभा चुनाव में चुनावी दौड़ में शामिल नहीं होने का फैसला किया, तो जाहिर तौर पर ऐसा करने के लिए उनके पास वैलिड रीजन थे. 2004 में राहुल गांधी के पहली बार अमेठी से लोकसभा चुनाव लड़ने के बाद, प्रियंका के इस बार चुनावी मैदान में उतरने की अटकलें लगने लगी थीं. हालाँकि, प्रियंका गांधी ने चुनाव लड़ने से परहेज किया है.

आखिर क्यों रेस से बाहर हुईं प्रियंका गांधी?

प्रियंका गांधी के रेस से बाहर होने के पीछे कई वजहें बताई जा रही हैं. उनमें एक ये भी है कि प्रियंका गांधी और राहुल गांधी दोनों पार्टी के स्टार प्रचारकों की सूची में हैं और देश भर में बड़े पैमाने पर प्रचार कर रहे हैं. इस पूरे घटनाक्रम से वाकिफ लोगों ने कहा कि अगर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी दोनों ने चुनाव लड़ने का फैसला किया होता, तो वे देश के विभिन्न हिस्सों में प्रचार के लिए समय नहीं निकाल पाते.

खुद को चुनावी मुकाबले से दूर रखते हुए, प्रियंका गांधी ने न केवल अपने भाई राहुल गांधी को पार्टी के लिए प्रचार करने के लिए अतिरिक्त समय दिया है, बल्कि उन्होंने 2019 तक पार्टी के गढ़ रहीं रायबरेली और अमेठी लोकसभा सीटों पर प्रचार की जिम्मेदारी भी ली है.

2019 में रायबरेली तो बच गया लेकिन ढह गया था अमेठी का किला

सोनिया गांधी ने 2019 में रायबरेली सीट जीती लेकिन पार्टी का अमेठी किला ढह गया था. राहुल गांधी केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से चुनाव हार गए थे. हालांकि उन्होंने केरल की वायनाड सीट से चुनाव जीत लिया था. 

इस बार कांग्रेस ने गांधी-परिवार के वफादार केएल शर्मा को अमेठी से मैदान में उतारा है, इसलिए प्रियंका गांधी ने 6 मई से चुनाव प्रचार के अंत तक निर्वाचन क्षेत्र में डेरा डालने का फैसला किया है. वे राहुल गांधी के लिए प्रचार करने के लिए भी समय निकालेंगी. कांग्रेस के सीनियर नेताओं ने प्रियंका गांधी को चुनावी मैदान से बाहर रखने के पार्टी के कदम का भी बचाव किया है।

सीनियर कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा कि हां, प्रियंका गांधी ने देश भर में पार्टी के प्रचार के लिए खुद को स्वतंत्र रखने की पेशकश की है. इसके अलावा, सोनिया गांधी राज्यसभा सांसद हैं, जबकि राहुल गांधी वायनाड सांसद होने के अलावा, रायबरेली सीट भी जीतने के लिए तैयार हैं. भाजपा एक परिवार के सदस्यों के चुनाव लड़ने की बात कह रही है और उनका फैसला उसी का जवाब है.

कुछ अन्य नेताओं ने कहा कि प्रियंका गांधी के पास 2024 के चुनावों के बाद फिर से संसद में प्रवेश करने का विकल्प होगा. पार्टी के एक सीनियर नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि चूंकि राहुल गांधी वायनाड और रायबरेली दोनों से जीतने के लिए तैयार हैं, इसलिए उनके पास उपचुनाव के माध्यम से संसद में प्रवेश करने का विकल्प होगा.

प्रियंका के करीबी आचार्य प्रमोद कृष्मण ने लगाए थे ये आरोप

रायबरेली लोकसभा सीट से कांग्रेस नेता राहुल गांधी की उम्मीदवारी पर पूर्व कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को अमेठी लड़ना चाहिए था. अमेठी से भागने से कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और पूरे देश में ये संदेश जाएगा कि जो आदमी रोज पीएम नरेंद्र मोदी को चुनौती देता था, रोज अपने कांग्रेस कार्यकर्ताओं और देश की जनता से कहता था कि डरो मत, वो खुद डर गया. मुझे लगता है कि ये कांग्रेस का दुर्भाग्य है.

वहीं, केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता अनुराग ठाकुर ने प्रियंका गांधी के रेस से बाहर होने पर सनसनीखेज आरोप लगाए थे. उन्होंने कहा था कि कुछ समय पहले तक राहुल गांधी कहते थे, डरो मत... अब डर-डर कर कभी अमेठी से वायनाड और कभी वायनाड से रायबरेली जा रहे हैं... डर तो इतना है कि वे (राहुल गांधी) एक साथ कहीं दोनों ही ना हार जाएं तो एक ही सीट से लड़ रहे हैं... वे अपनी बहन को भी न्याय नहीं दिला पाए... उनकी लिस्ट में कहीं भी उनकी बहन (प्रियंका गांधी) का नाम नहीं आया है. ये दिखाता है कि कहीं न कहीं कांग्रेस पार्टी में कुछ न कुछ चल रहा है.