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इन हिंदू रानियों से थर-थर कांपते थे मुगल और अंग्रेज, अच्छे-अच्छों को पिला दिया था पानी

Hindu Queens: भारतीय इतिहास में सिर्फ हिंदू राजा ही नहीं कुछ ऐसी रानियां भी हुईं, जिन्होंने अपने साहस के बल पर मुगलों को अंग्रेजों को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था. आज हम आपको कुछ ऐसी ही रानियों के बारे में बताने जा रहे हैं. 

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Hindu Queens: भारत कि बेटियां पुरुषों से कभी भी कम नहीं रही हैं. घर संभालने से लेकर युद्ध में कौशल दिखाने तक भारत के बेटियों ने अपना परचम लहराया है. भारत के हिंदू राजाओं की रानियों से बड़े-बड़े मुगल राजाओं और अंग्रेजों को पानी पिला दिया था. 

भारतीय इतिहास में ऐसी कई महिलाएं हुई हैं, जिन्होंने देश का सिर गर्व से ऊंचा किया है. इन महिलाओं ने अपने साहस, शौर्य और सामर्थ्य के बल पर क्रूर से क्रूर मुगल शासकों के दांत खट्टे किए हैं. वे अपनी वीरता और पराक्रम के बल पर शत्रुओं को परास्त कर देती थीं. आज भी ये वीरांगनाएं भारतीय इतिहास में अमर हैं. हम आपको कुछ ऐसी ही रानियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने अपने शौर्य के बल पर देश का सम्मान हमेशा बचाए रखा.

रानी पद्मावती 

राजपूत महारानी पद्मावती की वीर गाथा के किस्से आज भी लोगों की जुबान पर हैं. उनके पति राजा रतनसिंह ने अलाउद्दीन खिलजी से अपनी प्रजा की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ी थी. राजा रतनसिंह की मृत्यु के बाद भी रानी पद्मावती की वीरता के कारण राजपूताना शान हमेशा कायम रहीं. खिलजी रानी पद्मावती को पाना चाहता था, लेकिन उन्होंने जौहर करके खुद और बाकी महिलाओं को क्रूर मुगलों से बचा लिया था. उनके बलिदान को लोग आज भी याद करते हैं. 

रानी दुर्गावती 

रानी दुर्गावती गोंडवानी की रानी थीं. पति की मौत के बाद रानी ने अपने बेटे का मार्गदर्शन किया और कई लड़ाइयां लड़ी. इन्होंने अपनी शौर्य और वीरता के बल पर कभी भी मुगलों के सामने घुटने नहीं टेके और अकबर के सेनापति अब्दुल मजीद खान के खिलाफ इन्होंने आखिरी युद्ध लड़ा. इसके बाद आत्मसमर्पण नहीं किया और खुद को खंजर मारकर खत्म कर लिया. 

रानी ताराबाई

छत्रपति शिवाजी महाराज की पुत्रवधू रानी ताराबाई ने मुगलों को अपने आगे रौंद दिया था. औरंगजेब का सेनापति 8 सालों तक जिंजी किले पर कब्जा करने की कोशिश करता रहा, लेकिन ताराबाई ने उसको उसके मंसूबों में कभी भी कामयाब नहीं होने दिया. 

राजकुमारी रत्नावती 

महाराजा रतनसिंह ने जैसलमेर के किले की सुरक्षा अपनी बेटी राजकुमारी रत्नावती को सौंपी थी. उसी समय अलाउद्दीन खिलजी के सेनापति मलिक काफूर ने किले को घेर लिया, फिर भी रानी रत्नावती पीछे नहीं हटीं और मलिक काफूर को 100 सैनिकों सहित बंदी बना लिया. 

रानी लक्ष्मी बाई

झांसी की रानी लक्ष्मी बाई ने अपने शौर्य और कौशल का परिचय अंग्रेजों के सामने दिया था. उन्होंने अपने साहस से अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए थे. हालांकि 29 वर्ष की उम्र में वे युद्ध के दौरान वीरगति को प्राप्त हो गई थीं.