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What is Digital Arrest: कैसे घर में कैद कर लूटे जाते हैं पैसे, कुछ ऐसा है साइबर फ्रॉड का नया खेल

डिजिटल अरेस्ट का एक नया मामला सामने आया है जिसमें नोएडा की एक महिला से 3.5 लाख रुपये से ज्यादा लूट लिए हैं. चलिए जानते हैं क्या होता है डिजिटल अरेस्ट.

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What is Digital Arrest

What is Digital Arrest: साइबर फ्रॉड के मामले इतने बढ़ चुके हैं कि रोज सुबह एक न एक मामला ऐसा दिख ही जाता है. वैसे तो हैकर्स कई तरह से लोगों का बैंक अकाउंट खाली करते हैं लेकिन इनमें से एक है डिजिटल अरेस्ट. यह पुराना तरीका है जिसका स्कैमर्स इस्तेमाल करते हैं. डिजिटल अरेस्ट के जरिए लोगों का पैसा लूटने का काम साइबर क्रिमिनल्स पहले से ही करते आए है. हाल ही में नोएडा में रहने वाली एक महिला को डिजिटल अरेस्ट कर 3.75 लाख रुपये लूट लिए गए. अब अगर उन्हें इस बारे में पता होता तो शायद वो इस फ्रॉड का शिकार नहीं होती.

क्या आप जानते हैं कि आखिर डिजिटल अरेस्ट होता क्या है? साइबर क्रिमिनल्स किस तरह के लोगों को अपने जाल में फंसाते हैं? अगर आप इन सवालों के जवाब नहीं जानते हैं तो आपको इस बारे में जानकारी होना जरूरी है. चलिए सबसे पहले जानते हैं कि क्या होता है डिजिटल अरेस्ट और स्कैमर्स कैसे इसके जरिए लोगों को लूटते हैं. 

क्या होता है डिजिटल अरेस्ट?
डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड में व्यक्ति के पास वॉयस कॉल करते हैं. फिर उन्हें डराया जाता है कि उनके नाम का एक अवैध पार्सल पकड़ा गया है. फिर स्काइप या किसी और वीडियो कॉलिंग ऐप के जरिए वीडियो कॉल आता है. दूसरी तरफ स्कैमर होते हैं. ये पुलिस की ड्रेस में होते हैं. इससे व्यक्ति को लगता है कि यह सही कॉल है. फिर विक्टिम को उनका आधार, बैंक अकाउंट, सिम आदि का इस्तेमाल करके डराया जाता है और उसे कॉल न काटने की धमकी दी जाती है. 

फिर स्कैमर बात करना शुरू करते हैं और उन पर अलग-अलग इलजाम लगाते हैं. उन्हें विश्वास दिलाया जाता है कि अगर व्यक्ति ने उनकी बात नहीं मानी तो उन्हें अरेस्ट कर लिया जाएगा. उन्हें इतना डरा दिया जाता है कि व्यक्ति कुछ भी करने को राजी हो जाता है. फिर स्कैमर्स पैसे की मांग करते हैं. इस तरह के डिजिटल अरेस्ट में लोगों को ठगा जाता है. 

डिजिटल अरेस्ट से कैसा होता है स्कैम:
पुलिस ने उदाहरण देते हुए मामला समझाया है. उदाहरण: पिछले साल 30 दिसंबर को एक व्यक्ति अपने ऑफिस जाने के लिए तैयार हो रहा था. तभी उसके पास सुबह 8.43 बजे कॉल आया. कॉल उठाते ही सामने वाले व्यक्ति ने कहा कि वो क्राइम ब्रांच मुंबई से बोल रहा है. उसने बताया कि उसके आधार कार्ड का इस्तेमाल कुछ कूरियर पैकेजों में ड्रग्स लाने के लिए किया गया है जिसे क्राइम ब्रांच ने जब्त कर लिया है. 

व्यक्ति से इंटेरोगेशन की गई है जिससे उसके मन में डर बैठ गया. व्यक्ति से पूछताछ के दौरान लगभग 8 घंटे तक अपने घर से बाहर न निकलने के लिए भी कहा गया. स्कैमर्स ने पीछे ऐसा माहौल तैयार किया था जिससे बैकग्राउंड पूरी तरह से क्राइम ब्रांच का लगे. इसमें पुलिस के वायरलेस रेडियो आदि की आवाज भी शामिल थी. 

फिर स्कैम ने व्यक्ति को स्काइप एप्लिकेशन डाउनलोड करने और डेस्कटॉप का रिमोट एक्सेस देने को कहा. ऐसा करने के बाद एक व्यक्ति पुलिस यूनिफॉर्म में उसके सामने आया. इस व्यक्ति ने विक्टिम से घंटों पूछताछ की और पीड़ित से अपने बैंक खाते की डिटेल्स दिखाने को कहा जिससे वो ये चेक कर पाएं कि कहीं उन्हें कोई फॉरेन करेंसी को नहीं मिली है. बस ऐसा करते ही व्यक्ति का अकाउंट खाली कर लिया गया.

क्या है नया मामला: 
नया मामला नोएडा के सेक्टर 45 का है. आम्रपाली सफायर सोसाइटी में रहने वाले चिराग ने शिकायत कर बताया कि उनकी पत्नी सुकीर्ति वर्मा आईटी इंजीनियर हैं. उनके साथ कुछ ही दिन पहले स्कैम हुआ. सुकीर्ति के पास एक कॉल आया जिसमें उन्हें बताया गया कि उनके नाम पर एक कोरियर मुंबई से ताइवान ले जाया जा रहा था. लेकिन उसे एयरपोर्ट पर ही रोक लिया गया था. इसमें ड्रग्स और 4 पासपोर्ट जैसे सामान मिले हैं. फिर उनकी कॉल को एक कथित पुलिस अधिकारी के पास ट्रांसफर कर दी गई. 

इस व्यक्ति ने महिला को जेल भेजने का डर दिखाया. फिर स्कैमर्स ने महिला के फोन पर स्काइप वीडियो कॉल की. इस व्यक्ति ने पुलिस यूनिफॉर्म पहनी थी. महिला को डरा धमका कर उससे 3,75,278 रुपए ट्रांसफर करा लिए. महिला ये किसी को न बता पाए कि उसके साथ क्या चल रहा है इसलिए उसे करीब 7 घंटे तक कॉल पर ही रखा. महिला को कहा गया कि अगर उसने कॉल काटा तो उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा. कयास लगाए जा रहे हैं कि इस फ्रॉड के पीछे किसी नाइजीरियन गिरोह का हाथ है.