menu-icon
India Daily

जरूरी खबर: आपकी आंखें और स्किन पूरी तरह खराब कर देगी मोबाइल से निकलने वाली रेडिएशन!

Mobile Radiation Disadvantages: क्या आप जानते हैं कि मोबाइल से निकलने वाली रेडिएशन आपकी आंखें और स्कीन को पूरी तरह से खराब कर सकती है? अगर नहीं जानते तो हम आपको यहां इसके बारे में सबकुछ बता रहे हैं. 

auth-image
India Daily Live
Mobile Radiation Disadvantages

Mobile Radiation Disadvantages: मोबाइल का इस्तेमाल आज काफी ज्यादा होने लगा है. ये हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है. वैसे तो स्मार्टफोन काफी मददगार साबित होते हैं लेकिन कई बार ये खतरनाक भी बन जाते हैं. इनमें से निकलने वाली रेडिएशन शरीर और आंखों के लिए बेहद ही खतरनाक साबित हो सकती हैं. जी हां, ये आपके लिए बेहद ही खतरनाक भी साबित हो सकती है, चलिए जानते हैं इसके बारे में सबकुछ. 

मोबाइल टॉवर रेडिएशन क्या होती है? मोबाइल फोन्स को एक साथ कनेक्ट करने के लिए नेटवर्क की जरूरत होती है. इसके लिए टेलिकॉम कंपनियां टावर लगाती हैं. इन्हें अलग-अलग क्षेत्रों में इंस्टॉल किया जाता है. अब टावर और मोबाइल से अलग-अलग रेडिएशन निकलती हैं. अब टावर से निकलने वाली रेडिएशन तो आप चेक नहीं कर पाएंगे लेकिन अगर आप चाहें तो यह जरूर चेक कर सकते हैं कि आपके फोन से कितनी रेडिएशन निकलती है और वो हमारे लिए कितनी खतरनाक साबित हो सकती हैं. 

मोबाइल से कैसी रेडिएशन निकलती हैं?
फोन से इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन निकलती हैं जो काफी खतरनाक साबित हो सकती हैं. इन्हें चेक करने के लिए आपको अपने फोन से *#07# डायल करना होगा. जैसे ही आप इसे डायल करेंगे तो आपको यह पता चल जाएगा कि आपका फोन कितना रेडिएशन निकलता है. अगर फोन की सार वैल्यू 1.6 वॉट प्रति किग्रा से ज्यादा है तो आपको फोन तुरंत बदल लेना चाहिए. 

बता दें कि कम्यूनिकेशन और इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी मिनिस्ट्री के अनुसार, स्पेसिफिक एब्जॉर्प्शन रेट यानि SAR के तहत किसी भी स्मार्टफोन, टैबलेट या किसी दूसरे स्मार्ट डिवाइस का रेडिएशन 1.6 वॉट प्रति किलोग्राम से ज्यादा नहीं होना चाहिए. 

मोबाइल से निकलने वाली रेडिएशन के होने वाले नुकसान: 
इस तरह के तरंगों से आपको आंखों की समस्या हो सकती है और कैंसर जैसी बीमारी होने का खतरा है. सिर्फ यही नहीं, लोगों में स्ट्रेस, दिल की बीमारी, न्यूरोडेगेनेरेटिव डिसऑर्डर जैसी बीमारी भी हो सकती हैं. कुछ ही समय पहले इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने एक रिसर्च की थी जिसमें यह दावा किया गया था कि इस तरह के रेडिएशन से व्यक्ति के कान भी खराब हो सकते हैं.