Facebook Photos: फेसबुक और इंस्टाग्राम की पेरेंट कंपनी मेटा एक बार फिर प्राइवेसी विवादों में फंस गई है. एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, मेटा अब यूजर्स की मोबाइल गैलरी में सेव तस्वीरों तक पहुंच मांग रहा है, यहां तक कि उन तस्वीरों तक भी जिन्हें आपने कभी शेयर नहीं किया. यह सब एक नए AI फीचर ‘क्लाउड प्रोसेसिंग’ के नाम पर किया जा रहा है. यह फीचर यूजर्स को स्टोरी अपलोड करते समय एक प्रॉम्प्ट दिखाता है, जिसमें पूछा जाता है कि क्या वे इस सुविधा को एक्टिव करना चाहते हैं.
अगर आप 'हां' कहते हैं, तो मेटा आपके फोन की गैलरी को नियमित रूप से स्कैन करता है और आपकी तस्वीरें अपने क्लाउड सर्वर पर अपलोड करता है. इसके बदले यह बर्थडे वीडियो, फोटो कोलाज और AI-बेस्ड फिल्टर्स जैसे ‘क्रिएटिव’ सुझाव देता है.
इस सुविधा को एक्टिव करते ही, मेटा की AI तकनीक आपके फोटोज में चेहरे, स्थान, ऑब्जेक्ट और टाइमस्टैम्प तक पहचान सकती है. इतना ही नहीं, वह यह भी पता लगा सकती है कि फोटो कब और कहां लिया गया था. यानी एक तरह से आपकी हर तस्वीर मेटा के लिए एक जानकारी का खजाना बन जाती है.
मेटा का दावा है कि यह फीचर पूरी तरह वैकल्पिक (ऑप्शनल) है और यूजर इसे कभी भी बंद कर सकता है. यदि कोई यूजर इसे बंद करता है, तो कंपनी 30 दिनों के भीतर क्लाउड से उनकी तस्वीरें डिलीट करने का वादा करती है. लेकिन गोपनीयता विशेषज्ञों का कहना है कि जिस तरह से इस फीचर को 'मज़ेदार और क्रिएटिव टूल' के तौर पर पेश किया गया है, उससे यूजर्स बिना सोचे-समझे इसकी अनुमति दे सकते हैं.
यह पहली बार नहीं है जब मेटा की निजता नीति पर सवाल उठे हों. कंपनी पहले ही 2007 से अपने AI को ट्रेन करने के लिए फेसबुक और इंस्टाग्राम की ‘पब्लिक’ पोस्ट का उपयोग करती रही है. लेकिन उसने कभी यह स्पष्ट नहीं किया कि ‘पब्लिक कंटेंट’ की उसकी परिभाषा क्या है या वह किस उम्र को 'वयस्क' मानता है.
गोपनीयता विशेषज्ञों के अनुसार 'यह फीचर भले ही मजेदार लगे, लेकिन असल में यह मेटा का आपके फोन से निजी डेटा इकट्ठा करने का एक शांत तरीका हो सकता है.'