नई दिल्ली: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत दौरे पर हैं और उनकी सुरक्षा को लेकर हमेशा की तरह कड़ी तैयारियाँ की गई हैं. इसी बीच एक सवाल फिर चर्चा में आ गया है-क्या पुतिन वाकई स्मार्टफोन नहीं रखते? इस सवाल का जवाब खुद पुतिन कई बार दे चुके हैं और यह खुलासा दुनिया को हैरान कर चुका है.
पुतिन दुनिया के सबसे सुरक्षित व्यक्तियों में गिने जाते हैं. लगातार बढ़ते साइबर खतरे और जासूसी की आशंका के कारण वे किसी भी आधुनिक मोबाइल फोन का उपयोग नहीं करते. उनकी तकनीक से दूरी लोगों को चौंकाती है, लेकिन इसके पीछे गंभीर सुरक्षा कारण छिपे हैं.
AFP न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, पुतिन ना तो स्मार्टफोन रखते हैं और ना ही किसी आधुनिक मोबाइल डिवाइस का उपयोग करते हैं. उनकी सुरक्षा टीम किसी भी ऐसे गैजेट को उनके आसपास आने भी नहीं देती. दुनिया भर में बढ़ते साइबर अटैक और डाटा लीक की घटनाओं को देखते हुए उनके इस फैसले को बेहद समझदारी भरा माना जाता है.
2018 में एक वैज्ञानिक सम्मेलन के दौरान जब एक अधिकारी ने कहा कि 'हर किसी की जेब में स्मार्टफोन है,' तो पुतिन ने मुस्कुराकर जवाब दिया कि उनके पास फोन नहीं है. यह बयान तेजी से चर्चा में आ गया था क्योंकि इससे दुनिया के सबसे ताकतवर नेताओं में से एक की निजी जीवनशैली सामने आई थी. तब लोगों ने पहली बार जाना कि वह मोबाइल फोन पूरी तरह से अवॉयड करते हैं.
क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव भी पुष्टि कर चुके हैं कि पुतिन स्मार्टफोन नहीं रखते. उन्होंने बताया कि शीर्ष पदों पर बैठे नेताओं के लिए मोबाइल फोन सबसे बड़ा सुरक्षा खतरा हो सकता है. क्रेमलिन परिसर में मोबाइल फोन पूरी तरह से प्रतिबंधित हैं. पुतिन किसी से बात करने के लिए सिर्फ सुरक्षित सरकारी फोनलाइन का उपयोग करते हैं.
पुतिन आधुनिक तकनीक से बहुत सहज नहीं हैं. उन्होंने छात्रों से बातचीत में कहा था कि वह इंटरनेट का बहुत कम इस्तेमाल करते हैं. यहां तक कि उन्होंने इंटरनेट को 'CIA की परियोजना' बताते हुए इसकी सुरक्षा पर भी सवाल उठाए थे. उनके अनुसार, इंटरनेट पर अश्लीलता और गलत जानकारी इतनी अधिक है कि इस पर भरोसा करना मुश्किल है.
विदेश यात्राओं के दौरान उनकी सुरक्षा और भी सख्त हो जाती है. जहां भी पुतिन ठहरते हैं, वहां की हर चीज को उनकी सुरक्षा टीम पहले से जांचती है. कमरे से लेकर भोजन तक कई स्तरों पर सुरक्षा जांच की जाती है. पुतिन के आसपास किसी भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को रखने से पहले उसे खास परीक्षण से गुजरना पड़ता है, ताकि किसी भी तरह के साइबर खतरे से बचा जा सके.