उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें वह विधानसभा सत्र के दौरान हिंदी में लिखे हुए शब्दों को सही से पढ़ नहीं पा रहे हैं. यह घटना न सिर्फ हास्यास्पद है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था की गंभीर स्थिति को भी उजागर करती है. मंत्री का हिंदी पढ़ने में हिचकिचाना और बार-बार अटकना जनता के बीच सवाल खड़े कर रहा है कि आखिर जब शिक्षा मंत्री ही भाषा में असहज हैं, तो राज्य में शिक्षा व्यवस्था का क्या हाल होगा. यह वीडियो पिछले साल सितंबर का है.
छात्रों का संघर्ष, मंत्री की अक्षमता
जहां एक ओर राज्य के हजारों योग्य युवा सालों से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और नौकरी पाने के लिए सड़कों पर आंदोलन कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर खुद शिक्षा मंत्री का यह हाल देखना बेहद निराशाजनक है. ऐसे में यह सवाल उठना लाज़मी है कि क्या नेतृत्व में बैठे लोग इस जिम्मेदारी को निभाने के लायक हैं?
ये देश का और लोकतंत्र का दुर्भाग्य है कि ,
— खुरपेंच (@khurpenchh) May 28, 2025
उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री विधानसभा में हिंदी भी सही से नहीं पढ़ पा रहे ,
और इनसे भी ज्यादा काबिल और होनहार बच्चे सड़कों पर एक छोटी सी नौकरी के लिए आंदोलन करते हुए बुड्ढे हुए जा रहे । pic.twitter.com/pd7OAl79c5
वीडियो सामने आने के बाद जनता में भारी नाराजगी देखी जा रही है. लोग सोशल मीडिया पर जमकर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं और कह रहे हैं कि अगर मंत्री जी को हिंदी पढ़ने में इतनी दिक्कत है, तो शिक्षा व्यवस्था को सुधारने की उम्मीद कैसे की जा सकती है?
शिक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल
यह घटना केवल एक व्यक्ति की गलती नहीं, बल्कि पूरी व्यवस्था की पोल खोलती है. जब नेतृत्व ही कमजोर हो, तो सुधार की उम्मीद बेमानी हो जाती है. अब जनता की नजरें सरकार पर टिकी हैं कि क्या ऐसे मंत्रियों की जिम्मेदारी तय की जाएगी या फिर इसे भी नजरअंदाज कर दिया जाएगा.