भारतीय लोकतंत्र में पहली बार ऐसा कदम उठाया जा रहा है जहां प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्रियों को गंभीर अपराधों में गिरफ्तारी की स्थिति में पद से हटाने का प्रावधान कानून के तहत तय होगा. केंद्र सरकार बुधवार को लोकसभा में इससे जुड़ा संविधान संशोधन विधेयक समेत तीन बड़े बिल टेबल करेगी. यह कदम राजनीतिक और संवैधानिक दृष्टि से बेहद अहम माना जा रहा है.
सूत्रों के मुताबिक लोकसभा में पेश किए जाने वाले संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025 का मुख्य उद्देश्य है कि अगर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या कोई मंत्री किसी गंभीर आपराधिक मामले में गिरफ्तार होता है, तो उसके पद पर बने रहने को लेकर साफ-सुथरा कानूनी ढांचा तैयार हो. अभी तक ऐसे मामलों में स्थिति अस्पष्ट रहती थी, जिसके चलते राजनीतिक विवाद और संवैधानिक पेचीदगियां खड़ी होती रही हैं. सरकार का मानना है कि इससे पारदर्शिता और जवाबदेही दोनों बढ़ेंगी.
संसदीय कार्य मंत्रालय की ओर से जारी सूची में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025 भी शामिल है. हालांकि, मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस बिल में राज्य का दर्जा बहाल करने का कोई प्रस्ताव नहीं है. 2019 में अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा मिला था. तब से ही राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग उठती रही है, लेकिन मौजूदा बिल केवल प्रशासनिक और तकनीकी सुधारों से जुड़ा माना जा रहा है.
तीसरा बिल केंद्र शासित प्रदेश (संशोधन) विधेयक, 2025 है. इस विधेयक के जरिए केंद्र शासित प्रदेशों में प्रशासनिक ढांचे को और सुदृढ़ बनाने और कानूनी प्रावधानों को अपडेट करने का प्रस्ताव है. सरकार का तर्क है कि इससे बेहतर गवर्नेंस मॉडल स्थापित होगा और विकास योजनाओं को तेजी से लागू करने में मदद मिलेगी.
इन विधेयकों को लेकर विपक्ष की प्रतिक्रिया अहम होगी. खासकर प्रधानमंत्री और मंत्रियों को पद से हटाने वाला प्रावधान व्यापक बहस को जन्म दे सकता है. विशेषज्ञ मानते हैं कि यह कदम लोकतांत्रिक व्यवस्था में नैतिक मूल्यों को मजबूत करेगा, लेकिन इसके दुरुपयोग की आशंका को लेकर भी सवाल उठ सकते हैं. वहीं जम्मू-कश्मीर बिल को लेकर क्षेत्रीय दलों की प्रतिक्रिया पर सभी की नजरें होंगी. बुधवार का सत्र इसलिए बेहद अहम साबित हो सकता है.