Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले उत्तर प्रदेश में भाजपा ने विपक्ष को एक बड़ा झटका दिया है. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने अपने कैबिनेट विस्तार में सुभासपा और आरएलडी के विधायकों को मंत्री पद दिया है. दो विधायकों की पार्टियां भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए में शामिल हुई हैं. भाजपा के इस कदम को आगामी चुनाव में अपनी ताकत बढ़ाने वाला कदम माना जा रहा है.
ओपी राजभर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष हैं. करीब छह महीने पहले राजभर ने सपा का साथ छोड़कर एनडीए का दामन थामा था. हालांकि योगी सरकार में उसी समय उन्हें मंत्री पद देने की खबरें सामने आने लगी थीं, लेकिन फिर भी छह महीने का समय लग गया. लिहाजा आज लखनऊ में उन्हें मंत्री पद की शपथ दिलाई गई है.
उधर, समाजवादी पार्टी से गठबंधन खत्म करके एनडीए में शामिल हुई आरएलडी के विधायक अनिल कुमार को भी मंत्री पद से नवाजा गया है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट लैंड में अपनी पैठ को और ज्यादा मजबूत करने के लिए भाजपा ने ये कदम उठाया है. इनके अलावा भाजपा के सुनील शर्मा और सपा को छोड़ कर भाजपा की सदस्यता लेने वाले एमएलसी दारा सिंह चौहान को भी मंत्री बनाया गया है.
बात करें राजनीतिक प्रभाव और जनाधार की तो भाजपा ने एक बड़ा दाव खेला है. उत्तर प्रदेश की राजनीति में ओपी राजभर एक खास पहचान रखते हैं. पूर्वांचल में भी राजभर का खासा रसूक है. वर्तमान में उनकी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से 6 विधायक हैं. हालांकि यूपी में राजभर समाज की कुल 4 प्रतिशत आबादी है. लेकिन उनकी पिछड़ों में भी अच्छी पैठ है. पूर्व में वे समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में थे.
अनिल कुमार राष्ट्रीय लोकदल के विधायक हैं. भारतीय जनता पार्टी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट लैंड को साधने के लिए उन्हें मंत्री पद दिया है. हालांकि रालोद प्रमुख जयंत चौधरी अब एनडीए का हिस्सा है. राजनीतिक पंडितों का कहना और मानना है कि भाजपा ने उन्हें वेलकम गिफ्ट दिया है. अनिल कुमार दलित समाज से आते हैं, इसलिए भाजपा ने ये दोहरा दांव भी खेला है, क्योंकि आगरा समेत उत्तर प्रदेश के बड़े इलाके में दलित समाज भी रहता है.
गाजियाबाद के कद्दावर भाजपा नेता और विधायक सुनील शर्मा को मंत्री पद देने के पीछे भाजपा की मंशा है कि वो ब्राह्मण वोटों को साधेंगे. सुनील दो बार से लगातार गाजियाबाद के साहिबाबाद से विधायक हैं. उनकी भाजपा समेत अपने निर्वाचन क्षेत्र में खासी पहचान और रसूख है. उन्होंने साल 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में अपने गठबंधन प्रतिद्वंद्वी अमरपाल शर्मा को दो लाख से ज्यादा वोटों से हराया था.
चौथा मंत्री पद दारा सिंह चौहान को दिया गया है. ये 2017 में भाजपा के विधायक थे, लेकिन 2022 के चुनाव में टिकट नहीं मिलने पर दारा सिंह चौहान ने भाजपा छोड़ दी और सपा में चले गए. उन्होंने सपा के टिकट पर घोषी से चुनाव लड़ा. एक साल बाद उन्होंने सपा और विधायकी से इस्तीफा दे दिया और भाजपा में फिर से शामिल हुए. इसके बाद हुए उपचुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा, लेकिन फिर उन्हें एमएलसी बनाया गया. दारा सिंह को अब योगी सरकार में मंत्री बनाया गया है.