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India Daily

हरियाणा पुलिस ने चिन्हित की 91 बैंक शाखाएं, साइबर अपराधियों का ‘म्यूल अकाउंट’ से हो रहा था लेनदेन

हरियाणा पुलिस ने साइबर अपराधियों के नेटवर्क पर बड़ी कार्रवाई शुरू की है. पुलिस ने राज्य की 91 बैंक शाखाओं को चिह्नित किया है, जहां संदिग्ध ‘म्यूल अकाउंट्स’ संचालित हो रहे थे. इनमें से सबसे अधिक 26 शाखाएं गुरुग्राम और 24 शाखाएं नूंह जिले में पाई गईं. पुलिस ने इन बैंकों की गहन जांच शुरू कर दी है और लापरवाही या मिलीभगत करने वाले बैंक कर्मचारियों पर कार्रवाई की जा रही है.

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Edited By: Kuldeep Sharma
CRIME
Courtesy: WEB

चंडीगढ़ से मिली जानकारी के अनुसार, हरियाणा पुलिस ने साइबर अपराध के बढ़ते मामलों पर नकेल कसने के लिए अब बैंकों को अपने राडार पर लिया है. पुलिस की विशेष साइबर अपराध विंग ने राज्यभर में 91 बैंक शाखाओं की पहचान की है, जहां बड़े पैमाने पर फर्जी लेन-देन के लिए संदिग्ध खातों का इस्तेमाल हो रहा था. इस अभियान के दौरान पुलिस ने न केवल बैंक रिकॉर्ड खंगाले बल्कि फर्जी पते और बंद हो चुकी कंपनियों के नाम पर चल रहे खातों में करोड़ों के लेन-देन का भी खुलासा किया.

पुलिस अधिकारियों के मुताबिक सबसे ज्यादा 26 शाखाएं गुरुग्राम और 24 शाखाएं नूंह जिले की हैं. इन जगहों पर साइबर अपराधियों के खातों से बड़े पैमाने पर ट्रांजैक्शन किए जा रहे थे. पुलिस टीमों ने चरणबद्ध तरीके से इन शाखाओं की जांच शुरू कर दी है. शुरुआती जांच में पाया गया कि कई खातों में केवाईसी नियमों का पालन नहीं किया गया खाता खोलने में प्रक्रियागत गड़बड़ियां की गईं और कहीं-कहीं पर बैंक कर्मचारियों की लापरवाही या मिलीभगत की आशंका भी सामने आई है.

करनाल और यमुनानगर में छापेमारी

इस ऑपरेशन के तहत मंगलवार को करनाल और यमुनानगर जिलों में छापेमारी की गई. यमुनानगर में पुलिस को एक ऐसा करंट अकाउंट मिला जो मार्च में आधिकारिक तौर पर बंद हो चुका था, लेकिन इसके बावजूद 43 लाख रुपये का लेन-देन किया गया. इस खाते पर देशभर से 8 शिकायतें दर्ज हैं. इसके अलावा एक अन्य खाता फर्जी पते पर खोला गया जिसमें तीन महीने में ही 2 करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ. इस खाते पर 33 शिकायतें देशभर से दर्ज हुई हैं.

बैंक कर्मचारियों की भूमिका पर निगरानी

पुलिस का कहना है कि संदिग्ध खातों से जुड़े खाता धारकों और बैंक स्टाफ की भूमिका जांच के दायरे में है. यह अभियान केवल दो जिलों तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि आने वाले दिनों में अन्य जिलों की भी संदिग्ध शाखाओं पर कार्रवाई की जाएगी. डीजीपी शत्रुजीत कपूर ने साफ कहा कि नागरिकों की गाढ़ी कमाई को बचाना पुलिस की शीर्ष प्राथमिकता है और इसके लिए बैंकों की जिम्मेदारी भी तय की जाएगी.

लोगों को दी चेतावनी

साइबर विंग के आईजी शिबास कबीराज ने लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है. उन्होंने बताया कि साइबर अपराधी अक्सर बैंक अधिकारी, पुलिसकर्मी, सरकारी एजेंट या नामी कंपनियों के प्रतिनिधि बनकर कॉल करते हैं और लोगों से ओटीपी, एटीएम पिन, यूपीआई पिन या पासवर्ड जैसी जानकारी मांगते हैं. उन्होंने कहा कि कोई भी असली बैंक या सरकारी एजेंसी फोन पर पैसे ट्रांसफर करने या संवेदनशील जानकारी मांगने की कोशिश नहीं करती. कबीराज ने लोगों को चेताया कि हाल के दिनों में ‘डिजिटल अरेस्ट’ जैसे नए फ्रॉड सामने आए हैं, जिसमें अपराधी वीडियो कॉल पर पुलिस बनकर डराते हैं. ऐसे मामलों में तुरंत पुलिस की मदद लेनी चाहिए.