हरियाणा: डीजीपी ओपी सिंह का एक बयान इन दिनों सोशल मीडिया पर सुर्खियों में है. उन्होंने कहा,'थार और बुलेट से बदमाश चलते हैं, उनका दिमाग घुमा होता है.' इस बयान ने युवाओं के बीच गाड़ियों के दिखावे और प्रशासनिक मानसिकता पर बहस छेड़ दी है. ओपी सिंह का यह बयान एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान आया जब हाल के दिनों में थार गाड़ियों से जुड़े स्टंट, हादसे और आपराधिक गतिविधियों को लेकर सवाल उठाए जा रहे थे.
डीजीपी ओपी सिंह ने कहा, 'जिसके पास थार होती है, उसका दिमाग घुमा होता है.' उन्होंने यह भी बताया कि कुछ मामलों में अधिकारी वर्ग के बच्चों तक ने इन वाहनों से लापरवाही की है. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, 'हमारे एसीपी के बेटे ने थार से एक को कुचला, बाद में पैरवी करने आए.' उनके इस बयान को लेकर सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. कुछ लोग इसे समाज में दिखावे और पावर सिंबल की संस्कृति पर तंज बता रहे हैं, तो कुछ इसे पुलिस प्रमुख की गैरजिम्मेदार टिप्पणी कह रहे हैं.
हरियाणा के DGP का कहना है कि
— ANIL (@AnilYadavmedia1) November 9, 2025
बुलेट और थार से चलने वालों का दिमाग़ घूमा हुआ रहता है,
सब गुंडा, बदमाश बुलेट और थार से चलता है,
थार गाड़ी नहीं, एक स्टेटमेंट है, pic.twitter.com/xr51gnahRO
भारत में थार और बुलेट जैसे वाहन अक्सर ताकत, रुतबे और स्टाइल के प्रतीक के रूप में देखे जाते हैं. कई युवा इन गाड़ियों को सिर्फ परिवहन के लिए नहीं, बल्कि 'स्टेटस सिंबल' के तौर पर इस्तेमाल करते हैं. मगर समस्या तब शुरू होती है जब इन वाहनों का इस्तेमाल स्टंट, अवैध रेसिंग या नियम तोड़ने के लिए होने लगता है. ओपी सिंह ने कहा कि 'वाहन व्यक्ति की मानसिकता दिखाते हैं, और आज की पीढ़ी में यह दिखावा खतरनाक स्तर तक बढ़ गया है.'
डीजीपी ने कानून व्यवस्था पर भी चिंता जताई. उन्होंने कहा कि राज्य में आने वाली लगभग 20 प्रतिशत शिकायतें झूठी होती हैं, जिनमें अधिकतर व्यक्तिगत विवादों से उपजी होती हैं. सिंह ने कहा कि पुलिस का काम सिर्फ अपराध रोकना नहीं, बल्कि नागरिकों को सुरक्षा और न्याय का भरोसा देना भी है. उन्होंने कहा कि पुलिस को 'पावर' के बजाय 'ट्रस्ट' पर काम करना होगा.
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस को जनता के बीच भरोसेमंद छवि बनानी होगी और समाज में फैले भय या दिखावे की मानसिकता को तोड़ना होगा. उनका यह बयान फिलहाल सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है, जहां लोग इसे समाज के बढ़ते दिखावे और 'रुतबे की गाड़ियों' के चलन से जोड़ रहे हैं.