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क्या 2003 की लिस्ट से तय होगा बिहार में वोट देने का हक? EC ने अनुच्छेद 326 का किया जिक्र, जानिए क्यों बढ़ रह विवाद

इंडी गठबंधन सहित विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को लेकर जोरदार विरोध शुरू कर दिया है. कांग्रेस, राजद, सपा और AIMIM जैसे दल सड़कों पर उतर आए हैं और इसे जनविरोधी करार दे रहे हैं. वहीं आयोग का कहना है कि यह कदम लोकतंत्र को मज़बूत करेगा.

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Edited By: Reepu Kumari
Bihar Elections 2025
Courtesy: Pinterest

Bihar Elections 2025: बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और इसी के साथ मतदाता सूची के पुनरीक्षण को लेकर घमासान मचा हुआ है. चुनाव आयोग ने इस प्रक्रिया को पारदर्शिता के साथ अंजाम देने के लिए संविधान के अनुच्छेद 326 का हवाला दिया है, जिससे यह तय हो सके कि सभी पात्र नागरिकों को मतदान का अधिकार मिले.

मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए बताया कि बिहार में वर्ष 2003 की मतदाता सूची को आधार मानकर विशेष गहन पुनरीक्षण किया जाएगा. इससे वे नागरिक, जिनके या जिनके माता-पिता के नाम उस सूची में दर्ज हैं, बिना अधिक कागजी प्रक्रिया के दोबारा पात्र माने जाएंगे.

क्यों अहम है अनुच्छेद 326?

अनुच्छेद 326 यह स्पष्ट करता है कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों में मतदान का अधिकार वयस्क मताधिकार के आधार पर होगा. यानी प्रत्येक भारतीय नागरिक जिसकी उम्र 18 वर्ष पूरी हो चुकी हो और जो किसी कानूनी वजह से अपात्र न हो, उसे मतदान का अधिकार मिलेगा.

आयोग का कहना है कि यह प्रावधान मतदाता सूची में अधिकतम पारदर्शिता और समावेशिता सुनिश्चित करता है. खासतौर पर वे युवा जिनके माता-पिता 2003 की मतदाता सूची में शामिल थे, उन्हें अब केवल जन्म स्थान और तिथि से संबंधित दस्तावेज दिखाने होंगे.

2003 की लिस्ट क्यों बनी आधार?

मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने बताया कि 2003 की सूची में करीब 4.96 करोड़ मतदाता शामिल थे. इस सूची को आयोग जल्द ही अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक करेगा, ताकि लोग आसानी से अपने या अपने परिजनों के नाम जांच सकें. इससे मतदाता सूची के पुनरीक्षण में पारदर्शिता के साथ-साथ तेज़ी भी आएगी.

इस प्रक्रिया से पुराने मतदाताओं को कोई नई दस्तावेज़ी प्रक्रिया से नहीं गुजरना पड़ेगा, और नए मतदाता भी सरल प्रक्रिया के तहत शामिल हो सकेंगे.

बिहार की सियासत में नई गर्मी

इंडी गठबंधन सहित विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को लेकर जोरदार विरोध शुरू कर दिया है. कांग्रेस, राजद, सपा और AIMIM जैसे दल सड़कों पर उतर आए हैं और इसे जनविरोधी करार दे रहे हैं. वहीं आयोग का कहना है कि यह कदम लोकतंत्र को मज़बूत करेगा.