ICMR Report: ICMR इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन ने माना है कि शरीर में होने वाली 56.4 प्रतिशत बीमारियों की जड़ हमारा खराब खानपान है. अनहेल्दी डाइट के कारण हम कई सारी बीमारियों से घिर जाते हैं. संस्था का कहना है कि हेल्दी डाइट के माध्यम से बीमारियों से होने वाली मौतों में कमी लाई जा सकती है.
इसको लेकर नई गाइडलाइन जारी करते हुए आईसीएमआर ने बताया है कि एक व्यक्ति को हेल्दी रहने के लिए पूरे दिन में सिर्फ 1200 ग्राम भोजन करना चाहिए। इसें करीब 2000 कैलोरी मिल जाती है. एक थाली में करीब 100 ग्राम फल, 400 ग्राम हरी सब्जी, 300 मिली दूध या फिर दही, 85 ग्राम दाल या फिर अंडे, 35 ग्राम मेवे या सीड्स और अनाज सिर्फ 250 ग्राम खाना चाहिए. दिनभर में 27 ग्राम से ज्यादा ऑयल लेना आपकी सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है. अगर कोई नॉनवेजेटेरियन है तो उसे दिन में अधिकतम 70 ग्राम ही चिकन या मीट खाना चाहिए.
आईसीएमआर की ओर से जारी की गई गाइडलाइन के मुताबिक हमारे खाने में कुल तीन तरह के एसिड्स होते हैं. इसमें सैचुरेटेड फैटी एसिड, मोनो अनसैचुरेटेड फैटी एसिड और पॉली अनसैचुरेटेड फैटी एसिड होते हैं. इसमें ज्यादा सैचुरेटेड एसिड फैट की मात्रा को बढ़ाता है. जितना अधिक फैट होगा, उतना ही हार्ट प्रॉब्लम्स और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाएगा. इसके अलावा ट्रांस फैट से भी बचना चाहिए. घी, पाम ऑयल और नारियल के तेल में सैचुरेटेड फैटी एसिड की अधिक मात्रा होती है. सबसे कम सैचुरेटेड फैटी एसिड सरसों के तेल में पाया जाता है. इस कारण घी से ज्यादा बेहतर सरसों का तेल माना जाता है.
अनहेल्दी डाइट के कारण बच्चों में भी बीमारियां देखने को मिल रही हैं. आजकल बच्चों में मोटापा, डायबिटीज, आदि समस्याएं भी देखने को मिल रही हैं. वे अपनी डाइट में ज्यादा फैट, शुगर और नमक वाले फूड लेते हैं. स्टडी में यह भी आया है कि 6 महीने से कम के बच्चों को सेरेलक नहीं देना चाहिए.
आपने यह सुना होगा कि खड़े होकर पानी पीने से घुटनों में दर्द की समस्या हो जाती है. आईसीएमआर की रिपोर्ट ने इस बात को खारिज कर दिया है. रिपोर्ट के अनुसार बैठकर या खड़े होकर पानी पीने में कोई भी समस्या नहीं होती है.
लोग बॉडी मास बढ़ाने के लिए प्रोटीन सप्लीमेंट्स लेते हैं. रिपोर्ट में प्रोटीन सप्लीमेंट्स न लेने की सलाह दी गई है. इसमें कहा गया है कि बड़ी मात्रा में प्रोटीन सप्लीमेंट्स लेने से किडनी को नुकसान हो सकता है. प्रोटीन सप्लीमेंट्स की जगह आप डेयरी प्रोडक्ट्स, अंडा आदि का सेवन कर सकते हैं.
मिट्टी के बर्तनों को इको फ्रेंडली माना जाता है. इस बर्तन में खाना बनाने में कम तेल लगता है. वहीं, मेटल के बर्तन में चटनी , दही, सांबर आदि खट्टी चीजें नहीं रखनी चाहिए. रिपोर्ट के मुताबिक स्टील के बर्तनों में खाना बनाने से कोई भी समस्या नहीं होती है. नॉन स्टिक बर्तनों में 170 डिग्री सेल्सियस से ऊपर के तापमान पर खाना बनाने से दिक्कत आ सकती है. अगर इसकी कोटिंग मिट जाए तो भी इसका यूज बंद कर देना चाहिए.
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