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India Daily

अमेरिका ने दी हजारों पूर्व जिहादियों को सीरियाई सेना में शामिल होने की मंजूरी, चीन का बढ़ा सिरदर्द

इस योजना के तहत, मुख्य रूप से चीन और पड़ोसी देशों के उइगर लड़ाकों सहित लगभग 3,500 विदेशी लड़ाकों को सीरियाई सेना की नवगठित 84वीं डिवीजन में शामिल किया जाएगा, जिसमें सीरियाई नागरिक भी होंगे.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
US allows thousands of former jihadists to join Syrian army

सीरिया की नई सरकार को अमेरिका ने एक अभूतपूर्व योजना के लिए हरी झंडी दी है, जिसके तहत हजारों विदेशी जिहादी पूर्व विद्रोही लड़ाकों को राष्ट्रीय सेना में शामिल किया जाएगा. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विशेष दूत थॉमस बैरक ने दमिश्क में एक न्यूज एजेंसी को बताया, "पारदर्शिता के साथ इस प्रक्रिया को समझा गया है." इस योजना के तहत, मुख्य रूप से चीन और पड़ोसी देशों के उइगर लड़ाकों सहित लगभग 3,500 विदेशी लड़ाकों को सीरियाई सेना की नवगठित 84वीं डिवीजन में शामिल किया जाएगा, जिसमें सीरियाई नागरिक भी होंगे. बैरक ने कहा, "इनमें से कई लड़ाके नई सरकार के प्रति बहुत वफादार हैं, और उन्हें राज्य परियोजना में शामिल करना बेहतर है बजाय इसके कि उन्हें बाहर रखा जाए."

पश्चिम के साथ तनाव और बदलता अमेरिकी रुख

पिछले 13 साल के गृहयुद्ध में हयात तहरीर अल-शाम (HTS) के विदेशी लड़ाकों की भूमिका पश्चिमी देशों के साथ सीरिया के संबंधों में एक जटिल मुद्दा रही है. एचटीएस, जो कभी अल कायदा का हिस्सा था, ने पिछले साल राष्ट्रपति बशर अल-असद को सत्ता से हटाकर सत्ता हासिल की थी. मई की शुरुआत तक, अमेरिका ने विदेशी लड़ाकों को सुरक्षा बलों से बाहर रखने की मांग की थी. हालांकि, ट्रंप के हाल के मध्य पूर्व दौरे के बाद अमेरिका का रुख बदल गया. ट्रंप ने असद-युग के प्रतिबंधों को हटाने, रियाद में सीरिया के अंतरिम राष्ट्रपति अहमद अल-शारा से मुलाकात करने और अपने करीबी मित्र बैरक को विशेष दूत नियुक्त करने का फैसला किया.

जिहादी क्यों किए गए सेना में शामिल

सीरियाई रक्षा मंत्रालय के करीबी दो सूत्रों ने बताया कि शारा और उनके सहयोगियों ने पश्चिमी वार्ताकारों को समझाया कि विदेशी लड़ाकों को सेना में शामिल करना उन्हें छोड़ देने से कम जोखिम भरा है. उन्हें छोड़ देने से वे अल कायदा या इस्लामिक स्टेट जैसे चरमपंथी समूहों की ओर जा सकते हैं. दमिश्क के जिहादी विशेषज्ञ अब्बास शरीफा ने कहा, "सेना में शामिल होने वाले लड़ाकों ने सीरिया की नई सरकार के प्रति वफादारी दिखाई है और वे वैचारिक रूप से छांटे गए हैं. यदि उन्हें छोड़ दिया गया तो वे आईएसआईएस या अन्य कट्टरपंथी समूहों का शिकार बन सकते हैं."

उइगर लड़ाकों के शामिल होने से चीन की बढ़ी चिंता

उइगर लड़ाके, जो मुख्य रूप से तुर्किस्तान इस्लामिक पार्टी (टीआईपी) से हैं, को बीजिंग ने आतंकवादी संगठन घोषित किया है. एक सीरियाई अधिकारी और एक विदेशी राजनयिक ने बताया कि चीन ने सीरिया में इस समूह के प्रभाव को सीमित करने की मांग की थी. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, "चीन को उम्मीद है कि सीरिया सभी प्रकार के आतंकवाद और चरमपंथी ताकतों का विरोध करेगा." टीआईपी के एक राजनीतिक अधिकारी उस्मान बुघरा ने लिखित बयान में कहा, "हमारा समूह आधिकारिक तौर पर भंग हो चुका है और अब यह रक्षा मंत्रालय के अधीन कार्य करता है."

नागरिकता और भविष्य की संभावनाएं

शारा ने कहा है कि विदेशी लड़ाकों और उनके परिवारों को असद के खिलाफ लड़ाई में उनकी भूमिका के लिए सीरियाई नागरिकता दी जा सकती है. यह कदम सीरिया की नई इस्लामवादी सरकार की दिशा को लेकर पश्चिमी देशों में चिंता पैदा कर सकता है.