menu-icon
India Daily

Trump-Putin meeting: 'आगे का रास्ता केवल...', अलास्का में ट्रंप-पुतिन की मुलाकात पर क्या बोला भारत?

विदेश मंत्रालय का यह बयान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा यूक्रेन में युद्ध समाप्त करने के लिए एक शिखर सम्मेलन के लिए रूसी राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात के एक दिन बाद आया है.

auth-image
Edited By: Mayank Tiwari
President Donald Trump listens as Russia's President Vladimir Putin
Courtesy: X@WhiteHouse

भारत ने शनिवार (16 अगस्त) को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच अलास्का में हुई मुलाकात पर अपनी प्रतिक्रिया दी. विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा,"आगे का रास्ता केवल बातचीत और कूटनीति के माध्यम से ही हो सकता है. यह बयान ट्रंप और पुतिन की शुक्रवार को हुई शिखर वार्ता के एक दिन बाद आया है, जिसमें यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने की दिशा में चर्चा हुई. यह मुलाकात पुतिन की एक दशक में अमेरिका की पहली यात्रा थी.

विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में इस मुलाकात का स्वागत किया और दोनों नेताओं के शांति प्रयासों की सराहना की. मंत्रालय ने कहा, "भारत अलास्का में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच शिखर सम्मेलन का स्वागत करता है. शांति की खोज में उनकी नेतृत्वकारी भूमिका अत्यंत प्रशंसनीय है." मंत्रालय ने यह भी जोड़ा, "भारत शिखर सम्मेलन में हुई प्रगति की सराहना करता है. आगे का रास्ता केवल संवाद और कूटनीति से ही संभव है. विश्व यूक्रेन संकट का शीघ्र समाधान देखना चाहता है."

कोई बड़ा समझौता नहीं, फिर भी सकारात्मक

हालांकि, ट्रंप और पुतिन शांति वार्ता में कोई बड़ा समझौता करने में सफल नहीं हुए, लेकिन दोनों पक्षों ने इस मुलाकात को उपयोगी बताया. अलास्का में हुई इस बैठक ने भविष्य में ट्रंप और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की के बीच और ऐसी मुलाकातों का रास्ता खोल दिया है. यह शिखर सम्मेलन वैश्विक शांति और स्थिरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, भले ही तत्काल कोई ठोस परिणाम सामने न आया हो.

वैश्विक शांति के लिए क्या होगी भारत की भूमिका!

भारत ने लगातार यूक्रेन युद्ध के समाधान के लिए शांतिपूर्ण वार्ता और कूटनीति का समर्थन किया है. यह बयान भारत की उस नीति को दर्शाता है, जो वैश्विक मंच पर संवाद के माध्यम से शांति स्थापना पर जोर देती है. भारत का यह रुख न केवल क्षेत्रीय स्थिरता के लिए, बल्कि वैश्विक शांति के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है.