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World War 2: करोड़ों की मौत, दर्जनों देशों की तबाही, हैरान कर देगी दूसरे विश्व युद्ध की कहानी

World War 2: दुनिया में अभी तक हुए दोनों विश्व युद्धों में तमाम देशों को भयंकर तबाही का सामना करना पड़ा है. भारत ने भी दूसरे विश्व युद्ध में अपना बहुत कुछ गंवाया है.

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World War 2
Courtesy: Social Media

विश्व के इतिहास में दो बड़े विश्व युद्ध हो चुके हैं. पहला विश्व युद्ध 1914 से 1918 तक और दूसरा विश्व युद्ध 1939 से 1945  तक चला. इन दोनों ने विश्व की राजनीति को लंबे समय तक प्रभावित किया. दूसरा विश्व युद्ध इतिहास में सबसे ज्यादा समय यानी लगभग छह साल तक चलने वाला युद्ध था. इस युद्ध में 70 से ज्यादा देश सीधे तौर पर प्रभावित हुए. युद्ध में हुए घायल और मृत्यु का सटीक आंकड़ा लगाना थोड़ा मुश्किल है क्योंकि कई मौतें दर्ज ही नहीं की गईं. मोटे तौर पर कुछ आंकड़े बताते हैं कि युद्ध में लगभग 60 करोड़ लोग मारे गए, जिनमें लगभग 20 करोड़ सैनिक और 40 करोड़ सामान्य नागरिक थे. 

माना जाता है कि इस युद्ध से सोवियत संघ सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ. सोवियत संघ की कुल जनसंख्या के लगभग एक चौथाई लोग घायल हुए या मारे गए. लगभग 17 करोड़ नागरिक अकेले हिटलर की नस्लवादी नीतियों से प्रत्यक्ष या अप्रत्क्ष रूप से घायल हुए या मारे गए. आइए जानते हैं कि दूसरा विश्व युद्ध कैसे हुआ, क्यों हुआ और इसके परिणाम क्या थे.
 
कैसे हुई दूसरे विश्व युद्ध की शुरुआत?

1 सितंबर 1939 को एडोल्फ हिटलर की अगुवाई वाली जर्मनी की सेना ने पौलेंड पर कब्जे की चाह में हमला कर दिया. इस हमले से प्रभावित पौलेंड ने ब्रिटेन और फ्रांस से मदद मांगी. देखते ही देखते जर्मनी को इटली और जापान का समर्धन मिल गया. दूसरी तरफ पौलेंड को फ्रांस, ब्रिटेन, सयुंक्त राज्य अमेरिका, सोवियत संघ और चीन का समर्थन मिल गया. नतीजा यह निकला कि दुनिया के बडे़ और ताकतवर देश दो गुटो मे बंट गए. इसी के साथ दूसरे विश्व युद्ध का आगाज हो गया. 

कहा जाता है कि पहला विश्व युद्ध खत्म होने के साथ दूसरे विश्व युद्ध की नींव पड़ चुकी थी क्योंकि पहले विश्व युद्ध में जर्मनी को करारी हार का सामना करना पड़ा. उस युद्ध में जीते देशों ब्रिटेन, फ्रांस, सोवियत संघ और अमेरिका ने युद्ध का कारण जर्मनी को माना और उस पर आर्थिक दंड लगा दिया. वर्साय की संधि के लिए उसे मजबूर किया और जर्मनी के संसाधनों से परिपूर्ण एक बड़े हिस्से को फ्रांस ने कब्जे में ले लिया. इससे बौखलाया जर्मनी मौके की तलाश में था. उसके सीने में दबी चिंगारी को हिटलर ने भयानक आग का रूप दे दिया. 

भारत की क्या थी मजबूरी?

हिटलर ने वर्साय की संधि तोड़ी और गुप्त तरीके से हथियार और सेना तैयार की. बदले और कब्जे की मंशा से सबसे पहले जर्मनी की सेना ने मार्च 1931 में चेकोस्लोवाकिया पर हमला किया. लाखों निर्मम हत्याएं हुईं और विरोध के बावजूद जर्मनी ने 1939 से 1941 के बीच यूरोप का बड़ा हिस्सा अपने कब्जे में कर लिया. इस युद्ध में ब्रिटेन भी कूदा जिसके चलते भारत को भी इसमें पिसना पड़ा. भारत की भूमिका जितनी सैनिकों की संख्या में थी, उससे ज्यादा युद्ध में भोजन, हथियार, गोला-बारूद, लोहा, स्टील की सप्लाई भी भारत से की गई.

युद्ध की शुरुआत में अमेरिका आर्थिक मंदी का सामना कर रहा था और खुद को शामिल करने के संशय में था लेकिन पर्ल हार्बर पर अचानक हमले ने उसे भी युद्ध का भागीदार बना दिया. जापानी सेना ने गुआम और वेक व्दीप पर कब्जा कर लिया और फिलीपींस पर हमला कर दिया. इसके आलावा जापानियों ने ब्रिटिशों को मारा, हांगकांग पर कब्जा किया और मलाया पर भी हमला कर दिया. अपने विनाश का बदला लेते हुए अमेरिका ने मिडवे की लड़ाई में जापानी पर्यटन की कई जगहों को नष्ट किया. जिससे युद्ध का रुख बदल गया. 

परमाणु बम ने खत्म कर दिया युद्ध

मित्र देशों ने जर्मनी द्वारा किए गए यहूदियों के सामूहिक संहार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का वचन दिया. जर्मनी ने स्टालिनग्राद में सोवियत संघ के सामने आत्मसमर्ण कर दिया. उधर जापानी प्रशांत क्षेत्र में मित्र देशों से लड़ रहे थे. अमेरिकी राष्ट्रपति जापानियों के आक्रमण से आशंकित थे. उन्हे डर था कि जापानियों के आक्रमण से मित्र देशों की आधी आबादी को जनहानि हो सकती है. अमेरिका ने परमाणु बम का उपयोग करके युद्ध को जल्द से जल्द खत्म करने का फैसला लिया. 

6 अगस्त 1945 को अमेरिका ने हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराया लेकिन जापान ने युद्ध जारी रखा. 9 अगस्त को अमेरिका ने नागासाकी पर दूसरा बम गिराया. जापान में भारी तबाही हुई. इस बम से जापान में लगभग 129,000 से 226,000 लोग मारे गए, जिसका अंदाजा जापान को जरा भी नहीं था. 2 सितंबर 1945 को जापान ने आत्मसमर्पण कर दिया. इसी के साथ दूसरा विश्व युद्ध समाप्त हुआ.