इजरायल में चल रहे युद्ध के दौरान, अमेरिका की तरफ से इजरायल को बड़ा झटका मिला है. अमेरिका ने इजरायल को गोला बारूद की सप्लाई पर रोक लगा दी है. इसी तनावपूर्ण माहौल में भारत भी अपने कारगिल युद्ध का कर्ज उतारना चाह रहा था. भारत इजरायल की मदद करके कारगिल युद्ध के समय का कर्ज उतारना चाहता था लेकिन स्पेन ये भी नहीं करने देना चाहता. भारत से इजरायल के लिए रवाना हुए एक डेनिश फ्लैग्ड शिप को स्पेन ने अपने पोर्ट पर रुकने देने से इनकार कर दिया है. इस शिप में लगभग 27 टन गोला-बारूद ले जाया जा रहा था.
स्पेन के विदेश मंत्री जोश मैनुएल अल्बेयर्स ने बताया की यह पहली बार है कि स्पेन के रास्ते इस तरह के काम किए जा रहे हैं. अगर स्पेनी मीडिया की माने तो वहां की सरकार ने मैरियाने डेनिका नामक शिप को रूकने की इजाजत नहीं दी है. भारत के चेन्नई पोर्ट से निकला यह शिप 26.8 टन गोला-बारूद लेकर इजरायल के हाइफा पोर्ट के लिए रवाना हुआ था. जिसे स्पेन सरकार द्वारा अपने पोर्ट पर हाल्ट लेने की इजाजत नहीं दी गई है.
इस शिप को भारतीय कंपनी सिद्धार्थ लॉजिस्टिक ने इजरायल लॉजिस्टिक के लिए भेजा था. पहली बार स्पेन ने इजरायल के लिए गोला-बारूद के किसी शिप रोका है. जिस पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जैसवाल ने कहा कि भारत के शिप को स्पेन पोर्ट पर रूकने की इजाजत नहीं मिली है. इस बात को गंभीरता से लिया जा रहा है. हालांकि, इस चीज के बारे में किसी भी प्रकार की विस्तृत जानकारी नहीं दी है.
इजरायल ने कैसे की थी भारत की मदद?
कारगिल युद्ध के दौरान भारत की खुलकर मदद करने वाले देशों में से एक इजरायल भी था. इजरायल ने उस वक्त भारत को गाइडेड बम भी भेजे थे. जिसका अहसान आज भी भारत मानता है. इजरायल भारत से पहले भी भारी मात्रा में हथियार खरीदता था. इस बार अमेरिका से झटका लगने के बाद इजरायल ने गोले-बारूद की मांग बढ़ा दी है. जिसकी पूर्ति भारत करना रहा है. बता दें भारत में इजरायली कंपनियां हथियार बना रही हैं.
जहाज को लेकर स्पेन का बयान
स्पेन ने इस शिप को अपने पोर्ट पर हाल्ट करने की इजाजत न देते हुए कहा कि मिडल ईस्ट को शांति की जरूरत है, हथियारों की नहीं. पहली बार कोई कार्गो हथियारों की इतनी बड़ी खेप लेकर इस रास्ते से जा रहा है. शिप 21 मई को स्पेन पोर्ट पर रुकने के लिए वहां के पोर्ट अथॉरिटी से इजाजत मांग रहा था, जो कि नहीं मिली. दरअसल, लंबी यात्रा की वजह से बीच में शिप का रुक कर समान की पूर्ति करना जरूरी था.
स्पेन के मुताबिक यह उनकी पुरानी नीति है कि उन जहाजों को पोर्ट पर रुकने की परमिशन नहीं मिलेगी जो इजरायल के लिए गोला-बारूद लेकर जा रहे हों.