menu-icon
India Daily

India-Turkey Relations: 'हमारी चिंता अनदेखी नहीं चलेगी', भारत का विदेश नीति पर जोर, देखें क्या कहा?

India-Turkey Relations: भारत ने गुरुवार को तुर्की और चीन को स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी कि वे उसकी सुरक्षा संबंधी चिंताओं को हल्के में न लें. यह प्रतिक्रिया तब आई जब 7 से 10 मई के बीच पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ तुर्की और चीन से प्राप्त हथियारों और उपकरणों का उपयोग किया.

auth-image
Edited By: Ritu Sharma
India-Turkey Relations
Courtesy: social media

India-Turkey Relations: भारत ने गुरुवार को तुर्की और चीन को स्पष्ट शब्दों में संदेश दिया कि वे उसकी सुरक्षा संबंधी चिंताओं को हल्के में न लें. यह प्रतिक्रिया तब आई जब 7 से 10 मई के बीच पाकिस्तान द्वारा भारत के खिलाफ तुर्की और चीन से मिले हथियारों और उपकरणों का इस्तेमाल किया गया. इस मुद्दे पर अब भारत ने औपचारिक रूप से दोनों देशों से जवाबदेही की उम्मीद जताई है.

विदेश मंत्रालय का कड़ा बयान

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने मीडिया से बातचीत में कहा, ''हम उम्मीद करते हैं कि तुर्की पाकिस्तान से सीमा पार आतंकवाद को अपना समर्थन बंद करने और दशकों से उसके द्वारा पोषित आतंकी पारिस्थितिकी तंत्र के खिलाफ विश्वसनीय और सत्यापन योग्य कार्रवाई करने का पुरजोर आग्रह करेगा. संबंध एक-दूसरे की चिंताओं के प्रति संवेदनशीलता के आधार पर बनाए जाते हैं.'' इस बयान में साफ संकेत है कि भारत अब रिश्तों की बुनियाद को सिर्फ कूटनीतिक मीठी बातों पर नहीं, बल्कि वास्तविक संवेदनशीलता और ज़िम्मेदारी पर आधारित देखना चाहता है.

चीन और तुर्की की भूमिका पर उठे सवाल

रक्षा विश्लेषकों के अनुसार, हालिया सैन्य संघर्ष के दौरान पाकिस्तान द्वारा जिन हथियारों और उपकरणों का उपयोग किया गया, उनमें तुर्की और चीन से आए ड्रोन, मिसाइल सिस्टम और संचार उपकरण शामिल थे. इससे यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या ये देश अप्रत्यक्ष रूप से भारत की सुरक्षा के खिलाफ मददगार बन रहे हैं.

भारत की प्राथमिकता: क्षेत्रीय शांति, लेकिन मजबूती के साथ

बता दें कि भारत ने बार-बार कहा है कि वह क्षेत्रीय स्थिरता और शांति में विश्वास रखता है, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा. तुर्की और चीन जैसे प्रभावशाली देशों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे पाकिस्तान को उकसाने की बजाय उसे आतंकी गतिविधियों से दूर रखें.

हालांकि, भारत का यह स्पष्ट संदेश बताता है कि वह अब 'साइलेंट टॉलरेंस' की नीति छोड़ चुका है और अपने रणनीतिक हितों के प्रति ज्यादा मुखर और सक्रिय हो गया है.