Maoist Encounter: छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ इलाके में बुधवार को सुरक्षाबलों और माओवादियों के बीच हुई मुठभेड़ में सीपीआई (माओवादी) के महासचिव नामबाला केशव राव उर्फ बसवराजू मारा गया. उसकी मौत माओवादी संगठन के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि वह लंबे समय से संगठन की रणनीति और दिशा तय करने में प्रमुख भूमिका निभा रहा था.
बता दें कि बसवराजू की मौत ने माओवादी कैडर को हिला कर रख दिया है. सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि इससे संगठन की कमान और फैसलों पर असर पड़ेगा, लेकिन चेताया जा रहा है कि खतरा अभी टला नहीं है.
'मदवी हिडमा की गिरफ्तारी ही असली सफलता होगी'
वहीं, सुरक्षा तंत्र से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि अभी सतर्कता कम नहीं करनी चाहिए. जब तक माओवादी संगठन का सैन्य प्रमुख मदवी हिडमा गिरफ्तार नहीं होता, तब तक खतरा बना रहेगा. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ''बसवराजू की मौत बड़ी बात है, लेकिन हिडमा को पकड़ना असली चुनौती है. वही फिलहाल सबसे खतरनाक चेहरा है.''
बताते चले कि मदवी हिडमा बस्तर के पुर्वर्ती गांव का रहने वाला है और उसे कई बड़े नक्सली हमलों का मास्टरमाइंड माना जाता है. 2010 में दंतेवाड़ा के चिंतलनार में 76 सीआरपीएफ जवानों की हत्या और 2013 के झीरम घाटी हमले में भी उसकी अहम भूमिका रही थी, जिसमें छत्तीसगढ़ की कांग्रेस लीडरशिप का सफाया हो गया था.
अभी जारी रहेगा ऑपरेशन
सूत्रों के मुताबिक, सुरक्षा बलों का ऑपरेशन अब हिडमा की तलाश पर केंद्रित हो गया है. ड्रोन, तकनीकी निगरानी और विशेष दस्तों की मदद से बस्तर के जंगलों में उसकी तलाश की जा रही है.
हालांकि, बसवराजू की मौत के बाद संभावित बदले की कार्रवाई को देखते हुए छत्तीसगढ़ के कई नक्सल प्रभावित जिलों में सुरक्षा और गश्त बढ़ा दी गई है. ग्रामीणों को भी सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं.