Chabahar Port: अमेरिका ने भारत के लिए एक और मुश्किल खड़ी कर दी है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने चाबहार बंदरगाह के लिए 2018 में दी गई प्रतिबंध छूट को रद्द करने का फैसला किया है. यह फैसला भारत के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है क्योंकि चाबहार बंदरगाह भारत की रणनीतिक और व्यापारिक योजनाओं का अहम हिस्सा है. इस फैसले से भारत के मध्य एशिया और अफगानिस्तान के साथ व्यापार को बढ़ाने की योजना प्रभावित हो सकती है.
चाबहार बंदरगाह ईरान के ओमान की खाड़ी में स्थित एक रणनीतिक बंदरगाह है. भारत ने इस बंदरगाह को विकसित करने का जिम्मा लिया था ताकि पाकिस्तान को बिना शामिल किए अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक सामान पहुंचाया जा सके. यह बंदरगाह इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर का हिस्सा है, जो भारत के लिए व्यापार का एक वैकल्पिक रास्ता प्रदान करता है. बता दें कि इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर डोनाल्ड ट्रंप ने उन्हें दोस्त माना था और जन्मदिन की बधाई दी थी.
अमेरिकी विदेश विभाग के उप प्रवक्ता थॉमस पिगॉट ने बताया कि 2018 में चाबहार बंदरगाह के लिए दी गई प्रतिबंध छूट को रद्द किया जा रहा है. यह फैसला 29 सितंबर 2025 से लागू होगा. अमेरिका का कहना है कि यह कदम ईरान पर अधिकतम दबाव बनाने की ट्रंप की नीति का हिस्सा है. अमेरिका का मानना है कि ईरान अपनी आय का इस्तेमाल आतंकवाद को बढ़ावा देने और परमाणु कार्यक्रम के लिए करता है. इस वजह से अमेरिका ने चाबहार बंदरगाह से जुड़ी गतिविधियों पर भी प्रतिबंध लगाने का फैसला किया.
इस फैसले का भारत पर सीधा असर पड़ेगा. भारत ने चाबहार बंदरगाह के शाहिद-बहेश्ती टर्मिनल के संचालन के लिए 2024 में 10 साल का अनुबंध किया था. इस बंदरगाह के जरिए भारत ने 2023 में अफगानिस्तान को 20 हजार टन गेहूं और 2021 में ईरान को पर्यावरण अनुकूल कीटनाशक भेजा था. अब अमेरिकी प्रतिबंधों के लागू होने के बाद इस बंदरगाह का संचालन करने वाली कंपनी इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) और इससे जुड़े लोग प्रतिबंधों के दायरे में आ सकते हैं.
भारत ने चाबहार बंदरगाह के विकास के लिए काफी निवेश किया है. विदेश मंत्रालय ने 2024-25 के बजट में इस बंदरगाह के लिए 100 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. भारत ने इस बंदरगाह को न केवल व्यापार के लिए बल्कि क्षेत्रीय संपर्क बढ़ाने के लिए भी महत्वपूर्ण माना है.