Nimisha Priya: केरल के पलक्कड़ जिले की रहने वाली 37 वर्षीय भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को यमन में मौत की सजा सुनाई गई है. द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, निमिषा को 16 जुलाई को फांसी दी जाएगी. निमिषा पर यमनी नागरिक तलाल अब्दो मेहदी की हत्या का आरोप है. वह वर्तमान में यमन की राजधानी सना में जेल में बंद हैं, जो हूती विद्रोहियों के नियंत्रण में है.
हत्याकांड का मामला
निमिषा ने 2011 में सना में नर्स के रूप में काम शुरू किया था. यमन में विदेशी नागरिकों के लिए स्थानीय साझेदार के साथ क्लिनिक खोलना अनिवार्य है. निमिषा ने तलाल के साथ मिलकर एक क्लिनिक शुरू किया था. आरोप है कि तलाल ने निमिषा का पासपोर्ट जब्त कर लिया था.
Sources say, "Nimisha Priya was convicted for the crime of murder in Yemen in June 2018 and the local court handed out death sentence to her. We have been closely following the matter since then. We have been in regular touch with local authorities and her family members and…
— ANI (@ANI) July 8, 2025
पासपोर्ट वापस लेने के लिए निमिषा ने तलाल को नशीला पदार्थ दिया, जिसकी अधिक मात्रा से उसकी मौत हो गई. इसके बाद, निमिषा और उनकी सहकर्मी हनन ने तलाल के शव को टुकड़ों में काटकर पानी की टंकी में फेंक दिया.
सूत्रों का कहना है, "जून 2018 में निमिषा प्रिया को यमन में हत्या के अपराध में दोषी ठहराया गया था और स्थानीय अदालत ने उसे मौत की सज़ा सुनाई थी . हम तब से इस मामले पर बारीकी से नज़र रख रहे हैं . हम स्थानीय अधिकारियों और उसके परिवार के सदस्यों के साथ लगातार संपर्क में हैं और हर संभव सहायता प्रदान कर रहे हैं . हम मामले पर लगातार नज़र बनाए हुए हैं ."
कानूनी कार्यवाही और सजा
जुलाई 2017 में एक स्थानीय अदालत ने निमिषा को हत्या का दोषी ठहराया. 2024 में यमन के सर्वोच्च न्यायिक परिषद ने इस फैसले को बरकरार रखा और फांसी की सजा को मंजूरी दी. यमन के राष्ट्रपति रशद अल-अलिमी ने भी इस फैसले पर सहमति जताई.
प्रस्ताव का अभी तक नहीं मिला जवाब
सामाजिक कार्यकर्ता सैमुअल जेरोम बास्करन यमन सरकार और तलाल के परिवार के साथ बातचीत कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि तलाल के परिवार को एक प्रस्ताव दिया गया था, जिसका जवाब अभी तक नहीं मिला. बास्करन जल्द ही यमन रवाना होंगे ताकि निमिषा की जान बचाने के लिए और प्रयास किए जा सकें.
भारतीय सरकार के हस्तक्षेप से भी उम्मीदें बनी हुई हैं. निमिषा 2011 में सना गई थीं. वित्तीय समस्याओं के कारण उनके पति और बेटी को 2014 में भारत लौटना पड़ा. यमन में युद्ध के कारण परिवार का पुनर्मिलन नहीं हो सका.