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New Law In Kazakhstan: चेहरा ढकने पर लगा प्रतिबंध, जानें कजाखस्तान सरकार ने क्यों लिया ये फैसला

New Law In Kazakhstan: कजाखस्तान सरकार फेशियल रिकॉग्निशन तकनीक की कार्यक्षमता सुनिश्चित करने के लिए सार्वजनिक स्थलों पर चेहरा ढकने पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी में है. मौसम, बीमारी या खेल जैसे विशेष हालात को छोड़कर चेहरा ढकने की अनुमति नहीं होगी.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
Kassym-Jomart Tokayev
Courtesy: Social Media

New Law In Kazakhstan: कजाखस्तान सरकार ने सार्वजनिक स्थलों पर चेहरा ढकने पर प्रतिबंध लगाने की योजना बनाई है. सरकार का तर्क है कि चेहरा ढकने से देश में कई जगहों पर इस्तेमाल हो रही फेशियल रिकॉग्निशन तकनीक यानी चेहरा पहचानने की तकनीक की कार्यक्षमता प्रभावित होती है, जो सुरक्षा और निगरानी के लिए बेहद जरूरी है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार द्वारा प्रस्तावित नए कानून के अनुसार, अब केवल कुछ विशेष परिस्थितियों में ही चेहरा ढकने की अनुमति दी जाएगी – जैसे किसी गंभीर बीमारी के दौरान, अत्यधिक ठंड या खराब मौसम की स्थिति में, खेल-कूद गतिविधियों के दौरान, या चिकित्सकीय/स्वास्थ्य कारणों से, इसके अलावा सार्वजनिक स्थानों, सरकारी संस्थानों, हवाई अड्डों, रेलवे स्टेशनों और अन्य संवेदनशील क्षेत्रों में चेहरा ढकना प्रतिबंधित होगा.

कानून व्यवस्था पर पड़ता है प्रभाव

कजाखस्तान में फेशियल रिकॉग्निशन तकनीक का उपयोग तेजी से बढ़ा है, खासकर सुरक्षा व्यवस्था और अपराध नियंत्रण के लिए. सरकार का कहना है कि इस तकनीक के प्रभावी उपयोग के लिए यह जरूरी है कि लोगों के चेहरे साफ तौर पर दिखें ताकि उनकी पहचान आसानी से की जा सके. सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, कुछ अपराधी और संदिग्ध व्यक्ति चेहरा ढककर तकनीकी निगरानी से बचने की कोशिश करते हैं, जिससे कानून व्यवस्था प्रभावित होती है.

मुस्लिम समुदाय की महिलाओं में आशंका 

हालांकि इस फैसले को लेकर देश में अलग-अलग प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है. कुछ मानवाधिकार संगठनों और नागरिक स्वतंत्रता समर्थकों का कहना है कि यह फैसला धार्मिक और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रभाव डाल सकता है. मुस्लिम समुदाय की कुछ महिलाओं ने आशंका जताई है कि यह कदम उनके नकाब पहनने के अधिकार में हस्तक्षेप कर सकता है.

सुरक्षा को ध्यान में रखकर लिया फैसला

सरकार ने इन आशंकाओं को खारिज करते हुए कहा है कि यह फैसला सुरक्षा जरूरतों को ध्यान में रखकर लिया गया है और इसका उद्देश्य किसी समुदाय विशेष को निशाना बनाना नहीं है. अधिकारियों के अनुसार, कानून के कार्यान्वयन से पहले व्यापक परामर्श प्रक्रिया अपनाई जाएगी. वर्तमान में यह प्रस्ताव कानून मंत्रालय के पास विचाराधीन है और जल्द ही संसद में पेश किया जाएगा.