धराली आपदा ने उत्तरकाशी की वादियों में मातम फैला दिया है. सात दिन बाद भी मलबे के नीचे दबे लोगों का पता नहीं चल पाया है. प्रशासन की शुरुआती रिपोर्ट में 15 लापता बताए गए थे, लेकिन अब यह आंकड़ा तेजी से बढ़कर 42 हो गया है. इस बीच, आपदा से लगभग 40 होटल, होमस्टे और रिजॉर्ट के तबाह होने की भी पुष्टि हुई है. घाटी में राहत और बचाव कार्य लगातार जारी है, लेकिन कठिन परिस्थितियों के बीच हर दिन चुनौती और गहरी होती जा रही है.
धराली बाजार में आई तबाही के एक सप्ताह बाद भी मलबा हटाने और लापता लोगों को खोजने का काम दिन-रात चल रहा है. सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें मौके पर तैनात हैं. प्रशासन ने बताया कि 42 लापता लोगों में नौ सेना के जवान, धराली के आठ निवासी, नजदीकी गांवों के पांच, टिहरी जिले का एक व्यक्ति, बिहार के 13 और उत्तर प्रदेश के छह लोग शामिल हैं. इसके अलावा नेपाल मूल के 29 मजदूर भी लापता हैं, जिनमें से पांच से संपर्क हो चुका है, जबकि 24 का कोई पता नहीं है.
आपदा क्षेत्र में पुलिस हेल्प डेस्क ने स्थानीय स्तर पर लापता लोगों की सूची तैयार की है, जिसमें 73 नाम दर्ज हैं. इनमें एक चार वर्षीय बच्चा और नेपाल का 18 वर्षीय किशोर भी शामिल है. अमर उजाला के पहले दिन के अनुमान में भी लगभग 70 लोगों के लापता होने की संभावना जताई गई थी, जो अब प्रशासनिक आंकड़ों से मेल खाती है. धराली के कई परिवारों ने अपने प्रियजनों की तलाश के लिए हर संभव कोशिशें शुरु कर दी हैं.
धराली के ग्राम प्रधान अजय नेगी ने बताया कि आपदा के समय इलाके में बिहार और नेपाल के मजदूर बड़ी संख्या में मौजूद थे. इनमें से कई कल्प केदार मंदिर निर्माण और अन्य परियोजनाओं में लगे थे. कई मजदूर अस्थायी ठिकानों या कमरों में रह रहे थे, जबकि होटलों में बड़ी संख्या में पर्यटक भी ठहरे हुए थे. इस वजह से लापता लोगों की संख्या बढ़ने की आशंका है.
आपदा के बाद दूर-दराज से लोग धराली पहुंचकर अपने गुमशुदा परिजनों को खोज रहे हैं. राजस्थान के उदयपुर की कृतिका जैन 5 अगस्त की सुबह तक परिवार से संपर्क में थीं, लेकिन दोपहर बाद उनका फोन बंद हो गया. बिजनौर के योगेश, जो तीन महीने से धराली में वेल्डिंग का काम कर रहे थे, का भी कोई अता-पता नहीं है. उनके पिता लेखराज बेटे की तलाश में खुद उत्तरकाशी पहुंचे हैं.